शारदीय नवरात्रि 2025: नवरात्रि पर छठे दिन मां स्कंदमाता की व्रत कथा जरूर पढ़े, साथ ही जानें महत्व

KNEWS DESK- शारदीय नवरात्रि का छठा दिन इस वर्ष मां स्कंदमाता को समर्पित है। मां स्कंदमाता भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता हैं और उन्हें गोद में कार्तिकेय को लिए हुए कमल के फूल पर विराजमान दिखाया जाता है। मां स्कंदमाता की पूजा से संतान सुख की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख, समृद्धि, वैभव और शांति आती है।

नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा होती है, लेकिन इस वर्ष तृतीया तिथि दो दिन होने के कारण व्रत छठे दिन रखा गया है। इस दिन कथा का पाठ करना बेहद शुभ माना जाता है।

मां स्कंदमाता की व्रत कथा

कथा के अनुसार, धरती पर तारकासुर नामक एक दैत्य रहता था, जिसने कठोर तपस्या कर ब्रह्मा जी को प्रसन्न किया और अमरता का वरदान प्राप्त किया। तारकासुर ने वरदान के अनुसार केवल भगवान शिव के पुत्र के हाथों मृत्यु होने की शर्त रखी। वरदान मिलने के बाद उसने तीनों लोकों में आतंक फैलाया।

देवताओं ने भगवान विष्णु से मदद मांगी। विष्णु ने बताया कि तारकासुर का नाश केवल भगवान शिव के पुत्र ही कर सकते हैं। देवताओं की प्रार्थना सुनकर भगवान शिव ने माता पार्वती से विवाह किया और उनके यहां बालक कार्तिकेय का जन्म हुआ।

माता पार्वती ने अपने पुत्र कार्तिकेय को युद्ध कला और अस्त्र-शस्त्र का ज्ञान दिया। कार्तिकेय ने देवताओं की सेना का नेतृत्व करते हुए तारकासुर का वध किया और तीनों लोकों को उसके अत्याचार से मुक्त कराया।

मां स्कंदमाता का महत्व

मां स्कंदमाता हमेशा अपने भक्तों की ममता और सुरक्षा करती हैं। उनके गोद में विराजमान बालक कार्तिकेय उनके मातृत्व और संरक्षण का प्रतीक हैं। उनकी पूजा से संतान सुख के साथ-साथ ज्ञान, बुद्धि और चेतना की प्राप्ति होती है।

धार्मिक मान्यता के अनुसार, मां स्कंदमाता की सच्ची भक्ति और उपासना से भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और वे भवसागर से पार हो जाते हैं। इस नवरात्रि, छठे दिन मां स्कंदमाता की पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि और आध्यात्मिक शक्ति का लाभ मिलता है।