KNEWS DESK- भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 25 सितंबर 2025 को मथुरा-वृंदावन की विशेष यात्रा पर जा रही हैं। इस ऐतिहासिक यात्रा के लिए भारतीय रेलवे ने देश की सबसे भव्य और लग्जरी ट्रेन ‘महाराजा एक्सप्रेस’ को ‘प्रेसीडेंट स्पेशल ट्रेन’ के रूप में तैयार किया है। यह ट्रेन नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से मथुरा तक चलेगी।
राष्ट्रपति के लिए तैयार की गई यह ट्रेन कोई साधारण रेलगाड़ी नहीं है। महाराजा एक्सप्रेस दुनिया की सबसे लक्ज़री ट्रेनों में गिनी जाती है। इससे पहले भी इस विशेष ट्रेन से भारत के कई राष्ट्रपतियों और विदेशी गणमान्य अतिथियों ने सफर किया है।
इस ट्रेन में अब तक डॉ. राजेंद्र प्रसाद, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, जाकिर हुसैन, वी. वी. गिरी, नीलम संजीव रेड्डी और रामनाथ कोविंद जैसे महामहिमों ने सफर किया है।
राष्ट्रपति की इस यात्रा को लेकर रेलवे और राष्ट्रपति भवन के अधिकारियों ने कमर कस ली है। सुरक्षा के लिहाज से विशेष कदम उठाए गए हैं:
- ट्रेन के चलने से पहले एक पूर्व-निरीक्षण ट्रेन ट्रैक पर चलाई जाएगी।
- इसके बाद GM/DRM निरीक्षण वाहन ट्रैक की सुरक्षा की अंतिम जांच करेगा।
- राष्ट्रपति की यात्रा से पहले ट्रैक और अन्य व्यवस्थाओं की पूरी तरह से जांच-पड़ताल की जाएगी।
- ट्रेन चलाने वाले लोको पायलट और गार्ड्स को विशेष प्रोटोकॉल ट्रेनिंग दी गई है।
स्वतंत्रता के बाद से दशकों तक राष्ट्रपति की यात्रा के लिए एक विशेष ‘राष्ट्रपति सैलून’ का प्रयोग होता था, जिसमें दो कोच होते थे — एक राष्ट्रपति के लिए और दूसरा स्टाफ के लिए। 1956 में तैयार यह सैलून अब तकनीकी रूप से तेज गति वाली ट्रेनों के अनुकूल नहीं था। 2024 में, इसे नेशनल रेल म्यूजियम में विरासत के रूप में संरक्षित कर दिया गया।
राष्ट्रपति सैलून के संग्रहालय में जाने के बाद, अब राष्ट्रपति की यात्रा के लिए चार प्रमुख लग्जरी ट्रेनों को अधिकृत किया गया है:
- महाराजा एक्सप्रेस – उत्तर और मध्य भारत के लिए
- पैलेस ऑन व्हील्स – राजस्थान के लिए
- रॉयल ओरिएंट एक्सप्रेस – पश्चिम भारत के लिए
- डेक्कन ओडिसी – दक्षिण-पश्चिम भारत के लिए
इन ट्रेनों में अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ-साथ राष्ट्रपति की सुरक्षा, गोपनीयता और आराम का विशेष ध्यान रखा जाता है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की यह यात्रा धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है। मथुरा-वृंदावन, भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि और लीला स्थली है, और इस पावन भूमि पर राष्ट्रपति की उपस्थिति को एक विशेष अवसर के रूप में देखा जा रहा है।