राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर बेरोजगारी और भ्रष्टाचार बढ़ाने का लगाया आरोप

KNEWS DESK- कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर बेरोजगारी और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जब तक देश में चुनाव पूरी ईमानदारी से नहीं होंगे और वोट चोरी का सिलसिला चलता रहेगा, तब तक युवाओं को रोजगार नहीं मिलेगा और भ्रष्टाचार की समस्या बढ़ती ही जाएगी।

राहुल गांधी ने अपनी हिंदी में पोस्ट की गई एक वीडियो के साथ बयान जारी करते हुए कहा कि वर्तमान समय में भारत के युवाओं के सामने सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी है, जो सीधे तौर पर वोट चोरी से जुड़ी हुई है। उनका मानना है कि सरकार जनता का भरोसा जीतकर सत्ता में आती है तो उसका पहला दायित्व युवाओं को रोजगार और अवसर प्रदान करना होना चाहिए। लेकिन, उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह चुनावों में ईमानदारी से जीतती नहीं है, बल्कि वोट चोरी करके सत्ता में टिकती है और विभिन्न संस्थाओं को अपने नियंत्रण में लेकर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती है।

उन्होंने कहा, “इसी वजह से बेरोजगारी पिछले 45 वर्षों में सबसे उच्च स्तर पर पहुंच गई है। सरकारी नौकरियों की भर्ती प्रक्रियाएं ठप हो गई हैं, परीक्षाओं के पेपर लीक हो रहे हैं, और हर भर्ती घोटाले की कहानी भ्रष्टाचार से जुड़ी है।”

राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधते हुए कहा कि देश के युवा मेहनत करते हैं, सपने देखते हैं और अपने भविष्य के लिए संघर्ष करते हैं, लेकिन मोदी जी का ध्यान सिर्फ अपनी छवि सुधारने (पीआर) पर केंद्रित रहता है। वह मशहूर हस्तियों से अपनी तारीफ करवाते हैं और बड़े उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाते हैं। उनका आरोप था कि सरकार अब युवाओं की उम्मीदों को तोड़ने वाली और उन्हें निराश करने वाली बन चुकी है।

अपने बयान के साथ राहुल गांधी ने एक वीडियो भी साझा किया, जिसमें दिखाया गया है कि नौकरी की मांग कर रहे छात्रों पर पुलिस लाठीचार्ज कर रही है, वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री मोदी पौधारोपण करते, मोर को दाना खिलाते और योग करते दिखाई दे रहे हैं। राहुल गांधी ने कहा, “सच्ची देशभक्ति अब भारत को बेरोजगारी और वोट चोरी से मुक्त कराने में है।”

राहुल गांधी के इस बयान से राजनीतिक गलियारे गर्मा गए हैं, और केंद्र सरकार की ओर से जल्द ही जवाबी प्रतिक्रिया की उम्मीद है। ऐसे में आने वाले दिनों में बेरोजगारी और चुनाव सुधार के मुद्दे पर राजनीतिक बहस और तीव्र हो सकती है।