अखिलेश यादव पर बरसे स्वामी प्रसाद मौर्य, अखिलेश को बताया कंफ्यूज नेता

डिजिटल डेस्क- उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपनी खोई जमीन तलाश रहे पूर्व कैबिनेट मंत्री और लोक मोर्चा गठबंधन के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य ने वाराणसी दौरे के दौरान बड़ा सियासी बयान दिया। मौर्य ने जहां समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव पर तीखा हमला बोला, वहीं बसपा प्रमुख मायावती के प्रति नरम रुख दिखाते हुए सियासी हलचल तेज कर दी। मौर्य ने कहा कि अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी को परिवार और चंद लोगों की पार्टी बना चुके हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि अखिलेश के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी में दलितों और पिछड़ों की कोई सुनवाई नहीं होती। रामचरितमानस विवाद के बाद मौर्य की अखिलेश से दूरी बढ़ी और अब वह सीधे उन्हें निशाने पर ले रहे हैं। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, मौर्य का यह हमला एसपी के दलित वोट बैंक को साधने की रणनीति का हिस्सा है।

बसपा में वापसी के दिए संकेत

इसके साथ ही मौर्य ने संकेत दिए कि यदि मायावती बाबा साहेब आंबेडकर के मिशन को आगे बढ़ाती हैं तो उनसे हाथ मिलाने में उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी। 2017 में बसपा छोड़कर भाजपा और फिर समाजवादी पार्टी का दामन थामने वाले मौर्य अब बसपा की ओर लौटने की संभावना जता रहे हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य यही नहीं रुके। उन्होंने अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए आगे कहा कि विपक्ष में रहते हुए भी वह इस गलतफहमी में है कि अभी भी समाजवादी पार्टी की सरकार चल रही है।

धीरेंद्र शास्त्री को बताया ढोंगी-पाखंडी

वाराणसी में साधु-संतों को लेकर भी उन्होंने तीखी टिप्पणी की। स्वामी रामभद्राचार्य पर मौर्य ने अशोभनीय भाषा बोलने का आरोप लगाया, तो बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री को “ढोंगी पाखंडी” बताते हुए कहा कि ये बाबा वेश में समाज को बांटने का काम कर रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मौर्य की बयानबाजी का मकसद 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले खुद को दलित-बहुजन आंदोलन का चेहरा बनाना है। हालांकि, मायावती ने अब तक किसी भी गठबंधन से इंकार किया है और पुराने नेताओं की वापसी पर ज्यादा ध्यान दे रही हैं।