KNEWS DESK – मणिपुर दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजधानी इंफाल में आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए राज्य में शांति और विकास के महत्व पर जोर दिया। पीएम मोदी ने कहा कि मणिपुर को शांति और विकास के पथ पर ले जाना होगा और किसी भी तरह की हिंसा दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने इंफाल को अवसरों का शहर बताते हुए इसे भारत के विकास को गति देने वाले महत्वपूर्ण स्थानों में शामिल किया।
संबोधन के दौरान पीएम मोदी ने नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की के पदभार संभालने पर उम्मीद जताई कि इससे वहां शांति, स्थिरता और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होगा।
मणिपुर के विकास पर जोर
पीएम मोदी ने कहा कि 21वीं सदी पूर्वोत्तर की है और मणिपुर को लगातार शांति और विकास के रास्ते पर आगे ले जाना आवश्यक है। उन्होंने राज्य के ‘वीर सपूतों’ की ऑपरेशन सिंदूर में भूमिका की सराहना भी की।
इंफाल के कांगला किला परिसर में पीएम मोदी ने करीब 1,200 करोड़ रुपये के 17 प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन किया। इनमें शामिल हैं| 101 करोड़ रुपये की लागत से नया मणिपुर पुलिस मुख्यालय, 538 करोड़ रुपये की लागत से सिविल सेक्रेटियेट, नई दिल्ली और कोलकाता में नवनिर्मित मणिपुर भवन, इंफाल नदी के पश्चिमी मोर्चे का विकास चरण-2 और मॉल रोड चरण-2, चार इमा बाजार (माताओं के लिए बाजार), पांच सरकारी कॉलेजों का बुनियादी ढांचा विकास और इंफाल-जिरीबाम नेशनल हाईवे-37 को जोड़ने वाला चार लेन पुल भी शामिल हैं|
विस्थापितों से मुलाकात
पीएम मोदी ने यात्रा के दौरान जातीय हिंसा से विस्थापित लोगों से भी मुलाकात की। कांगला किला परिसर और चूड़ाचांदपुर के पीस ग्राउंड में उन्होंने लोगों की चिंताओं को सुना और राज्य में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने में केंद्र सरकार की मदद का भरोसा दिलाया। पीएम ने कहा, “अब मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि मणिपुर में आशा और विश्वास की नई सुबह उभर रही है।”
वहीं, कांग्रेस और मणिपुर पीपुल्स पार्टी (एमपीपी) के युवा कार्यकर्ताओं ने कार्यक्रम स्थल के पास विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने पीएम मोदी की यात्रा को राजनीतिक चाल करार दिया और आरोप लगाया कि इसका मकसद राज्य में शांति बहाल करना नहीं है।
मणिपुर की वर्तमान स्थिति
पिछले दो साल से मणिपुर में जातीय हिंसा जारी है। इसके चलते 60,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं, जिनमें लगभग 40,000 की-जो और 20,000 मेइती समुदाय से संबंधित हैं। इस संघर्ष में अब तक 260 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं, जबकि हजारों लोग बेघर हुए हैं। बड़ी संख्या में विस्थापित लोग राहत शिविरों में कठिन परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं।