अश्विनी मिश्र- शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) को अनिवार्य किए जाने के न्यायालय के हालिया आदेश से शिक्षकों में भारी आक्रोश है। इसी क्रम में चंदौली में पूर्व माध्यमिक शिक्षक संघ के बैनर तले जिले के शिक्षकों ने जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन किया और प्रधानमंत्री व केंद्रीय शिक्षा मंत्री के नाम से जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा। शिक्षकों ने चेतावनी दी कि यदि नियम में संशोधन नहीं किया गया तो संघ व्यापक आंदोलन करने को बाध्य होगा।
पांच वर्ष से अधिक सेवा कर चुके अध्यापकों को TET पास करना अनिवार्य
गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया है कि पाँच वर्ष से अधिक सेवा कर चुके शिक्षकों को भी TET पास करना अनिवार्य होगा। हालांकि, आदेश में यह भी उल्लेख है कि 3 सितंबर 2001 तक और 23 अगस्त 2010 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों को छूट दी जाएगी। इस विरोधाभासी स्थिति को शिक्षकों ने अन्यायपूर्ण करार दिया है। शिक्षकों का कहना है कि नियुक्ति के समय विभाग द्वारा निर्धारित योग्यता और शर्तों को पूरा करने के बाद ही उन्हें नौकरी दी गई थी। ऐसे में वर्षों की सेवा के बाद फिर से परीक्षा देने का दबाव उन्हें मानसिक तनाव और अवसाद की ओर धकेल रहा है।
40 लाख से अधिक शिक्षक होंगे प्रभावित
जिला महामंत्री संजय कुमार सिंह ने कहा कि 2001 से पूर्व नियुक्त कई शिक्षक केवल इंटरमीडिएट व बीटीसी योग्यता धारक हैं। नई व्यवस्था में न तो वे आवेदन कर पाएंगे और न ही आयु सीमा के कारण पात्र रहेंगे। उन्होंने चेताया कि यह निर्णय देश के लगभग 40 लाख शिक्षकों और उनके परिवारों को प्रभावित करेगा। केवल उत्तर प्रदेश में ही लगभग 4 लाख शिक्षक इस आदेश की चपेट में आएंगे। शिक्षकों ने सरकार से मांग की है कि 23 अगस्त 2010 से पूर्व नियुक्त सभी बेसिक शिक्षकों को TET से मुक्त किया जाए। साथ ही इसके लिए आवश्यक अध्यादेश लाकर कानून में संशोधन किया जाए। शिक्षकों ने चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगों पर जल्द सकारात्मक निर्णय नहीं हुआ, तो आंदोलन तेज किया जाएगा।