KNEWS DESK- नेपाल में नई अंतरिम सरकार गठन की चर्चाओं के बीच एक नाम सबसे तेजी से उभर कर सामने आया है — कुलमान घिसिंग। 54 वर्षीय घिसिंग को देश की युवा पीढ़ी, खासकर Gen-Z, का व्यापक समर्थन मिल रहा है। गुरुवार को सेना प्रमुख अशोक राज शर्मा से मुलाकात के दौरान Gen-Z प्रतिनिधियों ने घिसिंग का नाम आगे किया, जबकि पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की खुद भी इस दौड़ में थीं और उन्होंने सेना प्रमुख से व्यक्तिगत मुलाकात की।
कुलमान घिसिंग कौन हैं?
जन्मस्थान: रामेछेप, नेपाल
शिक्षा: एनआईटी जमशेदपुर, भारत से इंजीनियरिंग
वर्तमान निवास: काठमांडू
पेशा: पूर्व प्रबंध निदेशक, नेपाल उर्जा प्राधिकरण
पहचान: ईमानदार, निडर और रिजल्ट-ओरिएंटेड अफसर
केपी ओली सरकार से टकराव और जनता का समर्थन
2016 में उर्जा विभाग के प्रमुख बनाए गए कुलमान घिसिंग को उनके कार्यकाल से पहले ही केपी शर्मा ओली सरकार ने पद से हटा दिया था। इस फैसले के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन हुए और जनता ने घिसिंग को एक ईमानदार और दबंग अफसर के रूप में देखा। इस मुद्दे पर केपी ओली राजनीतिक रूप से अलग-थलग पड़ गए। कांग्रेस और विपक्षी दलों ने भी घिसिंग का समर्थन किया था।
बिजली क्रांति के नायक
घिसिंग के कार्यकाल से पहले नेपाल के शहरी इलाकों में सिर्फ 18 घंटे बिजली मिलती थी। उन्होंने न सिर्फ इस समस्या को दूर किया, बल्कि 24 घंटे बिजली आपूर्ति सुनिश्चित कर दी। उनका मंत्र था “पैसा लीजिए, लेकिन काम करिए – बिजली निर्बाध मिलनी चाहिए।”
पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की का नाम भी अंतरिम सरकार के लिए आगे किया गया था, लेकिन उनके नाम पर राजनीतिक सहमति नहीं बन पाई। केपी ओली, प्रचंड, और गगन थापा जैसे नेताओं ने स्पष्ट किया कि संविधान से बाहर जाकर कोई निर्णय न लिया जाए। कार्की को केवल Gen-G गुट का समर्थन मिला, जबकि दलों में असहमति देखी गई।
ऐसे में कुलमान घिसिंग को एक सर्वसम्मति के चेहरे के रूप में सामने लाया गया।
Gen-Z आंदोलन को घिसिंग ने न सिर्फ समर्थन दिया, बल्कि युवाओं के साथ खड़े नजर आए। यही कारण है कि आज की पीढ़ी उन्हें एक प्रेरणास्रोत और परिवर्तनकारी नेतृत्व के प्रतीक के रूप में देख रही है। निम्न मध्यमवर्गीय परिवार से आए घिसिंग की ईमानदारी, संघर्ष और नेतृत्व क्षमता ने उन्हें जनता का स्वाभाविक नेता बना दिया है।