KNEWS DESK- 14 सितंबर 2025 को एशिया कप के तहत भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाले हाई-वोल्टेज क्रिकेट मुकाबले से पहले देशभर में विरोध की लहर तेज हो गई है। विरोध करने वालों का कहना है कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले और उसके जवाब में भारत द्वारा चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर के बाद अब पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलने का कोई नैतिक औचित्य नहीं है।
हालांकि, इस विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट ने इस मैच को रद्द करने की मांग वाली जनहित याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया है।
चार लॉ स्टूडेंट्स के समूह द्वारा दायर की गई याचिका में मांग की गई थी कि भारत-पाकिस्तान मैच को रद्द किया जाए क्योंकि यह राष्ट्रीय गरिमा और जनभावनाओं के खिलाफ है। लेकिन न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी और न्यायमूर्ति विजय बिश्नोई की पीठ ने इसपर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया।
पीठ ने कहा “इसमें इतनी जल्दी क्या है? मैच इसी रविवार को है? हम इसमें क्या कर सकते हैं? इसे होने दीजिए। मैच जारी रहना चाहिए।”
इस याचिका का नेतृत्व उर्वशी जैन नाम की लॉ स्टूडेंट कर रही हैं। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि पहलगाम आतंकी हमले में देश के सैनिक और नागरिक मारे गए। भारत ने उसके जवाब में ऑपरेशन सिंदूर चलाया, जिसमें आतंकियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की गई। इसके बावजूद पाकिस्तान से क्रिकेट मैच खेलना पीड़ित परिवारों की भावनाओं को ठेस पहुंचाता है। “जब हमारे सैनिक सरहद पर शहीद हो रहे हैं, तब हम क्रिकेट का उत्सव कैसे मना सकते हैं?” क्रिकेट मैच आमतौर पर सद्भावना का प्रतीक माना जाता है, लेकिन वर्तमान हालात में यह गैर-उचित और अपमानजनक होगा।
राजनीतिक मोर्चे पर भी इस मैच का तीखा विरोध शुरू हो गया है। शिवसेना (UBT) के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस मैच को “देशद्रोह” बताया और ऐलान किया कि पार्टी इसका विरोध करेगी।
उन्होंने कहा “पानी और खून साथ-साथ नहीं बह सकते, तो खून और क्रिकेट साथ कैसे चल सकते हैं?”
संजय राउत ने ‘सिंदूर रक्षा अभियान’ की घोषणा की, जिसके तहत महिलाएं सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करेंगी। उन्होंने याद दिलाया कि पहलगाम हमले में 26 महिलाओं के सिंदूर मिट गए, और अब उसी देश के साथ मैच खेलना “बेशर्मी” है।
इस विवाद के बावजूद भारत और पाकिस्तान के बीच 14 सितंबर को दुबई में होने वाला मुकाबला फिलहाल तय कार्यक्रम के अनुसार ही खेला जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के इनकार के बाद मैच को कानूनी रूप से रद्द कराना फिलहाल असंभव लगता है, लेकिन सामाजिक और राजनीतिक विरोध आने वाले दिनों में और तेज हो सकता है।