आकाश रावत- पहाड़ी क्षेत्रों में हो रही लगातार बारिश से गंगा नदी का जलस्तर बढ़ने लगा है। इसका असर कानपुर के गंगा किनारे कटरी क्षेत्र के गांवों में देखने को मिल रहा है। दर्जनभर से अधिक गांवों में बाढ़ का पानी घुस जाने से ग्रामीणों को अपना घर-बार छोड़कर परिवार और मवेशियों समेत पलायन करना पड़ रहा है। बाढ़ ने हजारों लोगों का जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। गांव से बाहर निकलने के लिए ग्रामीण नावों का सहारा ले रहे हैं। वहीं, खेतों में खड़ी फसलें पूरी तरह जलमग्न हो गईं, जिससे किसानों की महीनों की मेहनत बर्बाद हो गई। हरी सब्जियों की खेती कर जीवन यापन करने वाले किसान अब भारी संकट में हैं।
पलायन और खतरे की रातें
बाढ़ के पानी ने न केवल फसलें बल्कि ग्रामीणों के घरों में रखा अनाज भी खराब कर दिया। मजबूरन लोग अपने परिवार और मवेशियों को लेकर गांव से निकलकर मंधना गंगा बैराज हाईवे किनारे अस्थाई झोपड़ियां बनाकर रहने लगे हैं। लेकिन यहां भी उनकी मुश्किलें कम नहीं हैं। अंधेरे और प्रकाश व्यवस्था के अभाव में ग्रामीण विषैले जीवों और जंगली जानवरों के खतरे के साये में रातें गुजार रहे हैं।

प्रशासन पर लापरवाही का आरोप
ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासनिक सुविधाएं सिर्फ कागजों तक सीमित हैं। जमीनी स्तर पर अब तक किसी तरह की राहत नहीं पहुंचाई गई है।
विधायक का निरीक्षण और राहत सामग्री वितरण
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए बिठूर विधायक अभिजीत सिंह सांगा ने बाढ़ प्रभावित गांवों का दौरा किया। उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों से जल्द सुविधाएं उपलब्ध कराने का निर्देश दिया और पीड़ित परिवारों में राहत सामग्री भी वितरित की।

यातायात व्यवस्था में बदलाव
हाईवे पर टेंट और झोपड़ियां बनाकर रह रहे ग्रामीणों को देखते हुए गंगा बैराज हाईवे को वन-वे कर दिया गया है। अब कोठारी चौराहे से गंगा बैराज की ओर जाने वाले वाहनों का आवागमन प्रतिबंधित रहेगा। जबकि गंगा बैराज से कोठारी चौराहे की ओर आने वाले मार्ग का ही उपयोग किया जाएगा। यह मार्ग परिवर्तन आज से 12 सितंबर तक लागू रहेगा।