KNEWS DESK- हिंदू धर्म में पितृ पक्ष (श्राद्ध पक्ष) का विशेष महत्व है। यह वह समय होता है जब हम अपने पूर्वजों को स्मरण करते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान जैसे कर्म करते हैं। मान्यता है कि इस पवित्र काल में पितरों को तर्पण और श्राद्ध से तृप्ति मिलती है, जिससे वे आशीर्वाद देते हैं और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
वर्ष 2025 में पितृ पक्ष की शुरुआत 7 सितंबर (रविवार) की रात से हो चुकी है और यह 21 सितंबर (रविवार) को समाप्त होगा। यह 15 दिवसीय अवधि अलग-अलग तिथियों पर अलग-अलग पितरों के श्राद्ध के लिए निर्धारित होती है। इस दौरान प्रतिपदा से लेकर अमावस्या तक हर दिन का अपना विशेष महत्व होता है।
प्रतिपदा श्राद्ध 2025 का शुभ मुहूर्त
- तिथि: 8 सितंबर 2025 (सोमवार)
- प्रतिपदा तिथि प्रारंभ: 7 सितंबर रात 11:38 बजे
- प्रतिपदा तिथि समाप्त: 8 सितंबर रात 09:11 बजे
श्राद्ध के लिए शुभ मुहूर्त–
- कुतुप मुहूर्त: सुबह 11:09 बजे से 11:59 बजे तक
- रौहिण मुहूर्त: सुबह 11:59 बजे से 12:49 बजे तक
- अपराह्न काल: दोपहर 12:49 बजे से 03:18 बजे तक
इन मुहूर्तों में श्राद्ध कर्म करना विशेष फलदायी माना जाता है, क्योंकि यह समय पितरों के आगमन और तृप्ति के लिए उपयुक्त होता है।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, प्रतिपदा श्राद्ध उन पितरों के लिए किया जाता है जिनकी मृत्यु प्रतिपदा तिथि को हुई हो। मान्यता है कि प्रतिपदा श्राद्ध करने से व्यक्ति को राजा के समान सुख, वैभव और संतोष की प्राप्ति होती है। यह भी माना जाता है कि इस दिन विधिपूर्वक श्राद्ध करने से पूर्वज संतुष्ट होकर संतान को दीर्घायु और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
यदि आप घर पर स्वयं श्राद्ध करना चाहते हैं तो नीचे दी गई सरल विधि का पालन करें:
- स्नान व शुद्धिकरण–
सुबह स्नान करें, स्वच्छ वस्त्र धारण करें और घर की सफाई करके सभी जगह गंगाजल छिड़कें। - स्थान चयन–
दक्षिण दिशा की ओर मुख करके शांत स्थान पर बैठें। - तर्पण विधि–
एक तांबे के लोटे में गंगाजल, दूध, तिल, जौ, चावल, सफेद फूल और कुश डालें।
फिर पितरों का स्मरण करते हुए दाहिने हाथ से दक्षिण दिशा में जल अर्पित करें।
जाप करें: “ॐ पितृभ्यः नमः” - पिंडदान–
जौ, तिल, चावल और दूध को मिलाकर पिंड बनाएं और दक्षिण दिशा की ओर अर्पित करें। पिंडदान करते समय ध्यान रखें कि पूर्ण श्रद्धा और शांति बनी रहे। - भोजन और दान–
ब्राह्मण को आमंत्रित कर भोजन कराएं। यदि ब्राह्मण न हो तो किसी जरूरतमंद या वृद्ध को भी भोजन करा सकते हैं।
पंचबली (गाय, कुत्ता, कौवा, चींटी और पीपल वृक्ष) को भी अन्न अर्पित करें। - दान-दक्षिणा–
यथाशक्ति ब्राह्मण या जरूरतमंद को दान दें। वस्त्र, अनाज, दक्षिणा आदि श्रद्धा से अर्पण करें।
- श्राद्ध के दौरान शुद्धता और पवित्रता का विशेष ध्यान रखें।
- श्राद्ध हमेशा श्रद्धा से करना चाहिए, क्योंकि यही इसका मूल आधार है।
- अगर संभव हो तो पूरे पितृ पक्ष में तामसिक भोजन से बचें और सादा व सात्विक आहार लें।
- पितृ पक्ष में नया कार्य आरंभ नहीं किया जाता, इसे अशुभ माना जाता है।