KNEWS DESK- मध्य प्रदेश के उज्जैन से एक भावुक कर देने वाली खबर सामने आई है, जहां सिर्फ 8 साल की एक बच्ची को पुलिस विभाग में “बाल आरक्षक” के तौर पर नियुक्त किया गया है। यह निर्णय एक सामाजिक और मानवीय दृष्टिकोण से लिया गया है, ताकि बच्ची और उसके परिवार को आर्थिक सुरक्षा मिल सके।
यह बच्ची है इच्छा रघुवंशी, जो उज्जैन के सेंट मैरी स्कूल में कक्षा 4 की छात्रा है। हाल ही में उसके पिता देवेंद्र सिंह रघुवंशी की हार्ट अटैक से अचानक मृत्यु हो गई। वह खुद पुलिस विभाग में कार्यरत थे। परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा, लेकिन इस मुश्किल घड़ी में उज्जैन पुलिस ने इंसानियत की मिसाल पेश की।
उज्जैन एसपी प्रदीप शर्मा ने विशेष पहल करते हुए इच्छा को “बाल आरक्षक” के रूप में नियुक्त किया। यह एक सम्मानजनक और सहायक भूमिका है, जिसका उद्देश्य परिवार को आर्थिक सहयोग देना है, न कि बच्ची से किसी प्रकार की कठिन या जिम्मेदारियों से भरी नौकरी कराना।
इच्छा 18 साल की उम्र तक अपनी पढ़ाई जारी रखेगी। इस दौरान वह विभाग से जुड़ी छोटी-मोटी जिम्मेदारियां निभाएगी, जैसे महीने में एक बार थाने जाकर हाजिरी देना। पढ़ाई से जुड़ी प्रगति की जानकारी भी विभाग द्वारा ली जाती रहेगी।
इच्छा को हर महीने ₹15,000 की सहायता राशि दी जाएगी। इसके अलावा पिता की पेंशन अब उनकी मां को ट्रांसफर की जाएगी, जिससे घर का खर्च चल सके। समय-समय पर पुलिस विभाग बच्ची की शिक्षा, स्वास्थ्य और आवश्यकताओं पर भी ध्यान देगा।
“बाल आरक्षक” की यह व्यवस्था उन मामलों में अपनाई जाती है जहां पुलिसकर्मी की अकाल मृत्यु हो जाती है और पीछे छोटा परिवार छूट जाता है। इस प्रणाली के तहत नाबालिग बच्चों को एक प्रारंभिक नियुक्ति दी जाती है, जिससे परिवार को आर्थिक सहारा मिलता है। बच्चा विभाग से जुड़ा रहता है, और बड़ा होकर नियमित नियुक्ति पाने की राह पर चलता है।