‘अंतरिक्षयात्रियों को पानी भी खाना पड़ता है’, शुभांशु ने मजेदार वीडियो साझा कर किया खुलासा

KNEWS DESK- अंतरिक्ष की रोमांचकारी यात्रा को लेकर लोगों में हमेशा से उत्सुकता रही है, लेकिन वहां के दैनिक जीवन की चुनौतियों से कम ही लोग वाकिफ हैं। भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने हाल ही में अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) पर बिताए गए अपने अनुभवों को साझा करते हुए एक बेहद दिलचस्प पहलू पर प्रकाश डाला — अंतरिक्ष में खाना खाना।

सोशल मीडिया पर साझा किए गए एक वीडियो में शुभांशु ने बताया कि अंतरिक्ष में भोजन करना एक तकनीकी और सावधानी भरा काम होता है। उन्होंने लिखा “कभी नहीं सोचा था कि मुझे दोबारा खाना सीखना पड़ेगा। यहां मैं बता रहा हूं कि अंतरिक्ष में खाते समय आदतें क्यों मायने रखती हैं। अगर आप सचेत नहीं हैं, तो आपसे गड़बड़ हो सकती है। अंतरिक्ष में रहने का एक सबसे प्रभावी मंत्र है — धीमा ही तेज है।” उनके इस बयान ने लोगों का ध्यान अंतरिक्ष यात्रियों के दैनिक जीवन की उन चुनौतियों की ओर खींचा, जो पृथ्वी पर हमें सामान्य लगती हैं।

शुभांशु के मुताबिक, अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण का अभाव भोजन करने को एक पूरी तरह अलग अनुभव बना देता है। उन्होंने अपने वीडियो में दिखाया कि खाने को कंटेनरों में सावधानी से रखा जाता है, ताकि वह हवा में न उड़ जाए। पानी को पीने के बजाय “खाया” जाता है, क्योंकि वह छोटे-छोटे बुलबुलों के रूप में तैरता रहता है। कॉफी को विशेष पैक में रखकर पिया जाता है, जिससे वह फैल न जाए।

शुभांशु ने वैज्ञानिक जानकारी साझा करते हुए बताया कि अंतरिक्ष में भोजन को पचाने के लिए गुरुत्वाकर्षण की जरूरत नहीं होती। यह प्रक्रिया शरीर की ‘पेरिस्टलसिस’ (Peristalsis) नामक मांसपेशीय गति से संचालित होती है। “इसमें आपका सिर ऊपर हो या नीचे, गुरुत्वाकर्षण हो या न हो, आपका शरीर भोजन को पचाता रहेगा,” उन्होंने कहा।

शुभांशु ने यह भी बताया कि जब वह धरती पर लौटे तो उन्हें फिर से सामान्य तरीके से खाना खाना सीखना पड़ा। स्पेस में हर हरकत को सोच-समझकर करना पड़ता है — न सिर्फ वैज्ञानिक प्रयोगों के लिए, बल्कि रोजमर्रा के कामों के लिए भी।