KNEWS DESK- मराठा आरक्षण की मांग को लेकर बीते पांच दिनों से मुंबई के आज़ाद मैदान में आमरण अनशन पर बैठे सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे पाटिल ने आखिरकार मंगलवार शाम अपना अनशन समाप्त कर दिया। महाराष्ट्र सरकार द्वारा उनकी 8 में से 6 मांगें मान लेने के बाद उन्होंने इसे ‘जनता की जीत’ बताया।
कैबिनेट मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल, जो मराठा आरक्षण उपसमिति के अध्यक्ष भी हैं, ने अपने हाथों से उन्हें जूस पिलाकर अनशन तुड़वाया। इसके बाद जरांगे समर्थकों में जश्न का माहौल बन गया और सड़कों पर नाच-गाने का दृश्य देखने को मिला।
आंदोलन की शुरुआत और समाप्ति
27 अगस्त: जरांगे जालना जिले के अंतरवाली गांव से निकले
29 अगस्त: रात 1 बजे नवी मुंबई पहुंचे
29 अगस्त सुबह 10 बजे: आजाद मैदान पर आंदोलन शुरू
2 सितंबर शाम 6 बजे: अनशन समाप्त
कुल अवधि: लगभग 120 घंटे (5 दिन)
जरांगे को पहले 1 सितंबर तक अनशन की अनुमति थी, लेकिन उन्होंने 2 सितंबर को बिना अनुमति आंदोलन जारी रखा। आंदोलनकारियों द्वारा साउथ मुंबई की सड़कों को जाम करने और अव्यवस्था फैलाने के चलते बॉम्बे हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया। कोर्ट ने जरांगे को 3 सितंबर की सुबह तक का समय दिया और प्रशासन को आदेशों के पालन में विफल रहने पर फटकार लगाई।
इसके बाद महाराष्ट्र सरकार के 5 मंत्री आज़ाद मैदान पहुंचे और जरांगे से संवाद किया। तब जाकर यह गतिरोध खत्म हुआ और आंदोलन समाप्त हुआ।
सरकार ने कौन-कौन सी मांगें मानी?
मनोज जरांगे द्वारा प्रस्तुत 8 मांगों में से 6 मांगों को सरकार ने स्वीकार किया-
हैदराबाद गजट को लागू किया जाएगा
सातारा और औंध गजट्स भी लागू होंगे
आंदोलनकारियों पर दर्ज केस वापस लिए जाएंगे
मरने वालों के परिवारों को ₹15 करोड़ की सहायता और सरकारी नौकरी
58 लाख कुनबी नोंदियों को ग्राम पंचायत स्तर पर सूचीबद्ध किया जाएगा
वंशावली (शिंदे) समिति को कार्यालय और कार्यावधि दी जाएगी
इन मांगों को मानने के बाद जरांगे ने कहा कि यह आंदोलन जनता की आवाज और सामाजिक न्याय की जीत है।