डिजिटल डेस्क- देश भर में चल रही पुरानी गाड़ियों को E20 एथेनाल मुक्त पेट्रोल को लेकर डाली गई पीआईएल याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की अध्यक्षता ने सुनवाई करते हुए इसमें हस्तक्षेप की जरूरत को नकार दिया। सुनवाई के दौरान सीनियर एडवोकेट शादन फरासत ने कोर्ट से कहा कि बिना किसी नोटिस या अधिसूचना के केवल E20 फ्यूल उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता E20 को हटाने की मांग नहीं कर रहा, बल्कि उपभोक्ताओं को विकल्प देने की अपील कर रहा है।
याचिका में किया गया था ये दावा
सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल के जरिए डाली गयी याचिका में कहा गया है कि लाखों वाहन चालक पेट्रोल पंपों पर असहाय महसूस कर रहे हैं और उन्हें ऐसा ईंधन खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है जिनके लिए उनके वाहन तैयार नहीं हैं। याचिका कर्त 2023 से पहले बनी कारें और दोपहिया वाहन, और यहां तक कि कुछ नए BS-VI मॉडल भी, इतने अधिक एथेनॉल मिश्रण वाले ईंधन के अनुकूल नहीं हैं। याचिका में कहा गया है कि विशेष रूप से अप्रैल 2023 से पहले के मॉडलों के लिए E20 को अनिवार्य करने से मैटेरियल डिग्रेडेशन, सुरक्षा का जोखिम, माइलेज का नुकसान हो सकता है। यहां तक कि वारंटी और बीमा भी अस्वीकार किया जा सकता है।
केन्द्र सरकार ने दिया ये तर्क
भारत के अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि ने कहा कि याचिकाकर्ता सिर्फ एक नाम है। उसके पीछे बड़ी लॉबी काम कर रही है। सरकार ने सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए यह नीति बनाई थी। इससे गन्ना व्यापारियों को फायदा हो रहा है। देश के बाहर बैठे लोग यह नहीं तय कर सकते कि देश में कैसा पेट्रोल मिलेगा। इसके बाद सीजेआई ने याचिका खारिज कर दी।