KNEWS DESK- शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट 2025 के पूर्ण सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद, क्षेत्रीय सुरक्षा, वैश्विक सहयोग और भारत की विकास नीति को लेकर कई महत्वपूर्ण बातें रखीं। उन्होंने कहा कि आतंकवाद आज भी क्षेत्रीय शांति के लिए सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है और इससे लड़ने के लिए सभी देशों को एकजुट होकर दोहरे मापदंड छोड़ने होंगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने सख्त लहजे में कहा कि भारत ने हमेशा सीमा पार आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई है। उन्होंने हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जिक्र करते हुए कहा:
“यह हमला केवल भारत की आत्मा पर नहीं, बल्कि मानवता में विश्वास रखने वाले हर देश पर एक चोट है। क्या कुछ देशों द्वारा खुलेआम आतंकवाद को समर्थन देना हमारे लिए स्वीकार्य हो सकता है?” उन्होंने स्पष्ट किया कि आतंकवाद के खिलाफ किसी भी रूप में कोई दोहरा रवैया अस्वीकार्य है और यह पूरी मानवता के लिए एक साझा चुनौती है।
प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की SCO के प्रति नीति को तीन स्तंभों में विभाजित किया – S: Security, C: Connectivity, O: Opportunity। उन्होंने बताया कि भारत ने हमेशा रचनात्मक और सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ संगठन की गतिविधियों में भाग लिया है।
Security: आतंकवाद और उग्रवाद के खिलाफ सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर जोर देते हुए मोदी ने बताया कि भारत ने अल-कायदा और संबद्ध संगठनों के खिलाफ SCO-RATS के अंतर्गत संयुक्त सूचना अभियानों की अगुवाई की है।
Connectivity: भारत की कनेक्टिविटी नीति केवल व्यापार नहीं, बल्कि भरोसे और साझेदारी पर आधारित है। उन्होंने चाबहार पोर्ट और इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर जैसे प्रोजेक्ट्स का उल्लेख करते हुए क्षेत्रीय जुड़ाव को आगे बढ़ाने की बात कही।
Opportunity: मोदी ने बताया कि 2023 में भारत की SCO अध्यक्षता के दौरान स्टार्ट-अप्स, डिजिटल समावेशन, पारंपरिक चिकित्सा और सांस्कृतिक विरासत जैसे विषयों पर नए आयाम जोड़े गए। भारत चाहता है कि SCO सरकारों तक सीमित न रहकर आम लोगों से भी जुड़े।
मोदी ने कहा कि हर प्रकार की कनेक्टिविटी की पहल में सदस्य देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान होना अनिवार्य है। उन्होंने कहा “जो कनेक्टिविटी संप्रभुता को दरकिनार करती है, वह न भरोसे के लायक होती है, न दीर्घकालिक महत्व की।”
प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र जैसी वैश्विक संस्थाओं में सुधार की ज़रूरत पर जोर देते हुए कहा कि SCO सदस्य देश मिलकर संयुक्त राष्ट्र की 80वीं वर्षगांठ के मौके पर सुधार की मांग को आगे बढ़ा सकते हैं। “हम नई पीढ़ी के रंगीन सपनों को पुरानी काले-सफेद स्क्रीन पर नहीं दिखा सकते। स्क्रीन बदलनी होगी।”
उन्होंने कहा कि ग्लोबल साउथ की आकांक्षाओं को पुराने ढांचों में कैद करना आने वाली पीढ़ियों के साथ अन्याय है, और SCO समावेशी और बहुपक्षीय वैश्विक व्यवस्था को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभा सकता है।
मोदी ने अपने भाषण में भारत के विकास मॉडल की बात करते हुए कहा कि देश “सुधार करें, प्रदर्शन करें और रूपांतरण करें” (Reform, Perform, Transform) की नीति पर आगे बढ़ रहा है। कोविड संकट हो या वैश्विक आर्थिक अस्थिरता—भारत ने हर चुनौती को अवसर में बदला है। उन्होंने SCO देशों को भारत की विकास यात्रा में साझेदारी का निमंत्रण भी दिया।