राजनाथ सिंह का बयान, “अंतरराष्ट्रीय संबंधों में स्थायी दोस्त या दुश्मन नहीं होते, केवल राष्ट्रीय हित होते हैं”

KNEWS DESK- रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में एक डिफेंस समिट के दौरान अंतरराष्ट्रीय राजनीति और स्वदेशी रक्षा विकास को लेकर महत्वपूर्ण विचार साझा किए। उनके अनुसार, अंतरराष्ट्रीय संबंधों में स्थायी दोस्त या दुश्मन नहीं होते, केवल राष्ट्रीय हित होते हैं। इस बयान ने खासतौर पर भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव और भारत-चीन संबंधों में नरमी के बीच परिप्रेक्ष्य को स्पष्ट किया।

राजनाथ सिंह का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब अमेरिका ने भारतीय सामानों पर 27 अगस्त से 50% टैरिफ लागू कर दिया है, जिससे भारत और अमेरिका के संबंधों में तनाव बढ़ गया है। इसके बावजूद, सिंह ने भारत के राष्ट्रीय हितों की रक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि विकसित देश अब तेजी से संरक्षणवादी हो रहे हैं, लेकिन भारत अपने राष्ट्रीय हितों से कोई समझौता नहीं करेगा।

रक्षा मंत्री ने भारत के आत्मनिर्भर रक्षा क्षेत्र में हुई प्रगति पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि INS हिमगिरि और INS उदयगिरि जैसे जंगी जहाजों का डिजाइन और निर्माण भारत में ही हुआ है, जो नीलगिरि श्रेणी के युद्धपोतों का हिस्सा हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अब भारतीय नौसेना ने संकल्प लिया है कि वह भविष्य में किसी अन्य देश से युद्धपोत नहीं खरीदेगी, बल्कि इनका निर्माण घरेलू स्तर पर ही किया जाएगा।

राजनाथ सिंह ने बताया कि भारतीय रक्षा क्षेत्र अब आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ी प्रगति कर चुका है, और स्वदेशी रक्षा प्रणालियों का उपयोग अब युद्ध में प्रभावी तरीके से हो रहा है। उन्होंने कहा कि “आत्मनिर्भरता अब केवल एक विकल्प नहीं, बल्कि एक आवश्यकता बन गई है।”

राजनाथ सिंह ने भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा हाल में किए गए सटीक हमलों को भी उल्लेखित किया। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के तहत पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारतीय सेनाओं ने स्वदेशी रक्षा प्रणालियों का उपयोग करके आतंकवादियों के ठिकानों को निशाना बनाया, जो कि स्वदेशी रक्षा प्रणालियों की उपयोगिता को साबित करता है।

उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, “जैसे एक खिलाड़ी दौड़ में कुछ ही सेकंड में जीत हासिल करता है, लेकिन इसके पीछे कई वर्षों की कड़ी मेहनत होती है, उसी प्रकार हमारी सेनाओं ने भी वर्षों की तैयारी, कठिन परिश्रम और स्वदेशी उपकरणों के साथ अपने टारगेट को नष्ट किया है।”

भारत का रक्षा निर्यात भी महत्वपूर्ण रूप से बढ़ा है। 2014 में जहां यह निर्यात 700 करोड़ रुपये के आसपास था, वहीं अब यह लगभग 24,000 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। यह वृद्धि भारत के आत्मनिर्भर रक्षा क्षेत्र की सशक्तीकरण का एक प्रतीक है।

राजनाथ सिंह ने आने वाले वर्षों में भारतीय रक्षा उद्योग को और अधिक आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। उन्होंने कहा कि भारत के रक्षा क्षेत्र को पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। इसके साथ ही, भारतीय रक्षा उत्पादों का निर्यात बढ़ाकर भारत को वैश्विक स्तर पर एक प्रमुख रक्षा उत्पादक राष्ट्र बनाने की दिशा में काम किया जा रहा है।