शिव शंकर सविता- 27 अगस्त यानी बुधवार से देशभर में बड़ी धूमधाम से गणेश चतुर्थी का आयोजन किया जा रहा है। सभी जगह धूमधाम से गणेश प्रतिमा की स्थापना करने के साथ-साथ जीवन में मंगल कामना और अधूरे कामों को पूरा करने की गुहार भगवान गणेश जी से लगाई जा रही है। ऐसे में मान्यता है कि गणेश चतुर्थी में अगर भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाए और पूजन की सही विधि को अपनाया जाए तो निश्चित ही भगवान गणेश भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण करते हैं। इस लेख के माध्यम से आपको गणेश पूजन की विधि, शुभ मुर्हुत और पूजन से जुड़ी सभी जानकारियां पहुंचाने का प्रयास किया गया है।
दोपहर 12ः30 से शाम 6ः45 तक कर सकेंगे प्रतिमा स्थापित
गणपति की स्थापना दोपहर में 12:30 तक और शाम को 3:45 से शाम 6:45 तक कर सकते हैं। इस दौरान गणपति की पूजा करें तो सबसे पहले दरवाजे, उनके बैठने के स्थान पर स्वास्तिक बनाएं। दरअसल स्वास्तिक को गणेश जी का प्रतीक माना जाता है। इसलिए भगवान की स्थापना से पहले जहां उन्हें स्थापित करेंगे, वहां स्वास्तिक बनाएं। इससे आपकी लाइफ के सभी विघ्न खत्म होते हैं और भगवान की कृपा से जल्दी सफल होते हैं।
प्रतिमा स्थापित करते वक्त करें इन 21 नामों का जप, मिलेगा फल
गणेश प्रतिमा को स्थापित करते वक्त परिवार के सभी सदस्यों को इन 21 नामों का जप करना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि प्रतिमा स्थापना के वक्त गणेश जी के 21 नामों का जप करने से सारी मनोकामना पूर्ण होती हैं।
ओम गणञ्जयाय नमः, ओम गं गणपतये नमः, ओम गं हेरम्बाय नमः, ओम गं क्षिप्रप्रसादनाय नमः, ओम गं महागणपतये नमः, ओम गं चिंतामणये नमः, ओम गं मंत्राय नमः, ओम गं काश्यपाय नमः, ओम गं आशापूरकाय नमः, ओम गं धरणीधराय नमः, ओम गं लक्षप्रदाय नमः, ओम गं नन्दनाय नमः, ओम गं वाचासिद्धाय नमः, ओम गं सुमङ्गलाय नमः, ओम गं शिवाय नमः, ओम गं ढुण्ढिविनायकाय नमः, ओम गं वरदाय नमः, ओम गं अमृताय नमः, ओम गं बीजाय नमः, ओम गं अमोघसिद्धये नमः, ओम गं निधये नमः
इस विधि से करें मूर्ति स्थापित
घर में उत्तर दिशा में भगवान गणेश की मूर्ति को स्थापित करना शुभ माना जाता है। इसलिए घर की उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) या पूर्व दिशा में एक चौकी लगाकर उस पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं। वहीं चौकी पर हल्दी से स्वस्तिक बनाएं और वहां अक्षत अर्पित करें। इसके बाद गणपति जी की मूर्ति को दूध, दही, शहद, घी और गंगाजल से स्नान कराएं। वहीं इसके बाद ही चौकी पर भगवान की मूर्ति स्थापित करें। मूर्ति स्थापना के समय “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का जाप जरूर करें। वहीं गणपति जी की दूर्वा, फल, फूलमाला पहनाकर उन्हें मोदक या लड्डू का भोग लगाएं। वहीं अंत में घी का दीपक जलाकर आरती करें और बीजमंत्र का जाप करें और प्रार्थना करें।