डिजिटल डेस्क- राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित तीन दिवसीय संघ यात्रा में आरएसएस प्रमुख ने संघ पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए राष्ट्र निर्माण और हिंदू धर्म से जुड़े मुद्दों पर खुलकर अपने विचार रखे। इस दौरान उन्होंने कई उदाहरण देते हुए अपनी बातों को प्रमुखता से रखा। उन्होंने कहा कि हिंदू वही है, जो अलग-अलग मान्यताओं वाले लोगों की श्रद्धा का सम्मान करता है। उन्होंने आगे कहा कि जब हम हिंदू राष्ट्र की बात करते हैं, तो सवाल उठते हैं। हम ‘राष्ट्र’ का अनुवाद ‘नेशन’ करते हैं, जो एक पश्चिमी अवधारणा है जिसमें ‘राष्ट्र’ के साथ ‘राज्य’ भी जुड़ जाता है। ‘राष्ट्र’ के साथ राज्य का होना जरूरी नहीं है।
हिन्दू का अर्थ सिर्फ धार्मिक होना ही नहीं, बल्कि राष्ट्र के प्रति समर्पित होना भी
संघ यात्रा को संबोधित करते हुए आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने हिंदू शब्द को भी परिभाषित किया। उन्होंने हिंदू शब्द का अर्थ समझाते हुए कहा कि हिन्दू शब्द का अर्थ केवल धार्मिक नहीं, बल्कि राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी का भाव है। यह नाम दूसरों ने दिया, पर हम अपने को हमेशा मानव शास्त्रीय दृष्टि से देखते आये हैं। हम मानते हैं कि मनुष्य, मानवता और सृष्टि आपस में जुड़े हैं और एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं। हिन्दू का अर्थ है समावेश और समावेश की कोई सीमा नहीं होती।
पूजा को लेकर न करे आपस में लड़ाई
उन्होंने वर्तमान परिस्थितियों के बारे में बोलते हुए कहा कि किसी को बदलने की कोशिश मत करो, अपने विश्वास पर भरोसा रखो, दूसरों को स्वीकार करो, अपमान मत करो। पूजा के तरीके को लेकर लड़ाई मत करो। जो ऐसा करते हैं, वे नहीं हिंदू हैं, वे भारत के इतिहास का हवाला देते हुए बोले कि पहले भारत समृद्ध और सुरक्षित था। वहां अस्तित्व के लिए संघर्ष और ‘सर्वश्रेष्ठ का जीवित रहना’ लागू नहीं होता था। भागवत ने कहा कि पहले धैर्य था, बहुतायत थी और लड़ाई करने का कारण नहीं था।
संघ किसी का क्रेडिट लेने के लिए नहीं है
उन्होंने आगे कहा कि संघ किसी चीज का क्रेडिट लेने के लिए नहीं है, बल्कि समाज और राष्ट्र की भलाई के लिए काम करता है। उन्होंने कहा कि यह संगठन कठिन परिस्थितियों में, बिना पर्याप्त संसाधन, पैसा या साधन के बढ़ा है। संघ को तीन बार प्रतिबंधित किया गया था,1948 में महात्मा गांधी की हत्या के बाद, 1975 में आपातकाल के दौरान और 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के समय।