रिलायंस कम्युनिकेशंस के कर्ज खाते को ‘धोखाधड़ी’ घोषित, अब बैंक ऑफ इंडिया ने भी अनिल अंबानी पर कसा शिकंजा

KNEWS DESK- भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के बाद अब बैंक ऑफ इंडिया ने भी दिवालिया हो चुकी रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCom) के ऋण खाते को ‘धोखाधड़ी वाला’ घोषित कर दिया है। इस फैसले में कंपनी के पूर्व निदेशक और उद्योगपति अनिल अंबानी का नाम भी प्रमुखता से शामिल किया गया है। यह मामला 2016 में कंपनी को दिए गए 700 करोड़ रुपये के ऋण के कथित दुरुपयोग से जुड़ा है।

बैंक ऑफ इंडिया ने अगस्त 2016 में RCom को चालू पूंजीगत जरूरतों, परिचालन व्यय और मौजूदा देनदारियों के भुगतान के लिए 700 करोड़ रुपये का ऋण मंजूर किया था। हालांकि, नियामकीय फाइलिंग के मुताबिक, ऋण की आधी राशि को एक सावधि जमा (Fixed Deposit) में निवेश कर दिया गया, जो कि ऋण स्वीकृति की शर्तों के खिलाफ था।

RCom ने स्टॉक एक्सचेंज को बताया कि उसे 22 अगस्त को बैंक से एक पत्र मिला है, जिसमें कंपनी, अनिल अंबानी और पूर्व निदेशक मंजरी अशोक कक्कड़ के ऋण खातों को धोखाधड़ी की श्रेणी में डालने की जानकारी दी गई है।

इससे पहले भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने भी जून 2025 में RCom के ऋण खाते को धोखाधड़ी वाला बताया था। SBI की शिकायत के आधार पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने अनिल अंबानी और रिलायंस कम्युनिकेशंस के खिलाफ मामला दर्ज किया था। आरोप था कि ऋण की शर्तों का उल्लंघन करते हुए धन की 2,929.05 करोड़ रुपये की हेराफेरी की गई है।

इसके बाद CBI ने अनिल अंबानी से जुड़े परिसरों और रिलायंस कम्युनिकेशंस के कार्यालयों पर छापेमारी भी की थी।

अनिल अंबानी के प्रवक्ता ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए एक बयान में कहा “SBI की शिकायत 10 साल पुराने मामलों पर आधारित है। उस समय अनिल अंबानी कंपनी के गैर-कार्यकारी निदेशक थे और उनके पास दैनिक प्रबंधन की कोई जिम्मेदारी नहीं थी। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि SBI ने पांच अन्य गैर-कार्यकारी निदेशकों के खिलाफ कार्रवाई वापस ले ली, लेकिन अनिल अंबानी को चुनिंदा रूप से निशाना बनाया जा रहा है। हम कानूनी तरीके से इस मामले का मजबूती से विरोध करेंगे।”

बैंकिंग नियामक मानदंडों के तहत, किसी भी कर्ज खाते को एक बार धोखाधड़ी वाला घोषित कर दिया जाए तो उसे प्रवर्तन एजेंसियों के पास आपराधिक कार्रवाई के लिए भेजा जाता है। साथ ही, उस उधारकर्ता को पांच वर्षों तक किसी भी बैंक या विनियमित संस्था से नया कर्ज नहीं दिया जा सकता।

रिलायंस कम्युनिकेशंस पहले ही दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही है। अब जब देश के दो बड़े सरकारी बैंक इस खाते को धोखाधड़ी की श्रेणी में डाल चुके हैं, तो यह मामला और गंभीर होता जा रहा है। इस निर्णय से अनिल अंबानी की कारोबारी साख को भी झटका लग सकता है और भविष्य में उनकी कंपनियों को वित्तीय संस्थानों से ऋण प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।