शिव शंकर सविता- आगरा में एक मामले की रिपोर्ट में सच्चाई लिखना एक दरोगा को महंगा पड़ गया। आगरा कमिश्नरेट की जगदीशपुरा थाने में तैनात एक दरोगा ने गंदगी और जलभराव की रिपोर्ट में सच्चाई लिखते हुए इस समस्या के लिए जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी और नगरायुक्त को दोषी ठहरा दिया। आपको बता दें कि सत्यमेव जयते ट्रस्ट के अध्यक्ष मुकेश जैन ने 03 जून 2025 को आगरा पुलिस कमिश्नर दीपक कुमार से शहर के बोदला-बिचपुरी रोड पर महीनों से पड़ी सिल्ट और मलबे को लेकर शिकायत की थी और शिकायत में डीएम अरविंद मल्लप्पा बंगारी, मुख्य विकास अधिकारी प्रतिभा सिंह और नगर आयुक्त अंकित खंडेलवाल के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की गई थी। कमिश्नर को सौंपी गई शिकायत पर कार्रवाई न होने के चलते सत्यमेव जयते ट्रस्ट ने सीजेएम कोर्ट में कार्रवाई की मांग को लेकर प्रार्थनापत्र दिया। इस पर सीजेएम कोर्ट ने प्रार्थना पत्र पर जगदीशपुरा पुलिस से रिपोर्ट मांगी।

कोर्ट को दरोगा देवीशरण ने भेजी रिपोर्ट में बताया कौन है जिम्मेदार ?
कोर्ट की तरफ से मांगी गई रिपोर्ट को जगदीशपुरा थाने में तैनात दरोगा देवीशरण सिंह ने 29 जुलाई को अपनी रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट में उन्होंने लिखा कि बोदला से बिचपुरी तक सड़क पर भारी मात्रा में सिल्ट और मलबा जमा हुआ है, जिससे लोगों को लगातार परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने यह भी माना कि इस मामले में जिम्मेदारी सीधे तौर पर जिलाधिकारी, सीडीओ और नगर आयुक्त की है।
उच्चाधिकारियों के खिलाफ रिपोर्ट देने के चलते दरोगा पर हुई कार्रवाई
जगदीशपुरा थाने में तैनात दरोगा देवीशरण सिंह द्वारा उच्चाधिकारियों जिलाधिकारी अरविंद मल्लप्पा बंगारी, मुख्य विकास अधिकारी प्रतिभा सिंह और नगर आयुक्त अंकित खंडेलवाल के खिलाफ रिपोर्ट तैयार करने और उसे कोर्ट में जमा करने के चलते डीसीपी सिटी सोनम कुमार ने बताया कि दरोगा देवी शरण सिंह को काम में लापरवाही के चलते निलंबित कर दिया। दरोगा को सरकारी कार्य में लापरवाही और उच्च अधिकारियों के आदेशों का पालन नहीं करने के आरोप में निलंबित करने का कारण बताया गया है।

दरोगा को निलंबित करना कितना सही ?
इस पूरे प्रकरण में दरोगा द्वारा लगाई गई रिपोर्ट में जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी और नगरायुक्त को शहर के मलबा और जलभराव के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए रिपोर्ट लगाई गई। जबकि वास्तव में शहर के विकास, स्वच्छता और रोग मुक्त समेत कई प्रमुख कार्यों के लिए सीधे तौर पर जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी और नगरायुक्त जिम्मेदार होते हैं। इन उच्चाधिकारियों के पास ही स्वास्थ्य, विकास और स्वच्छता संबंधी समस्त जिम्मेदारियां होती हैं। ऐसे में अगर शहर का विकास तीव्र गति से होता है, शहर पूर्ण रूप से स्वच्छ होता है, शहर पूर्ण रूप से रोगमुक्त होता है तो इसके लिए प्रशंसा और राज्य स्तरीय और केन्द्रस्तरीय प्रमाणपत्र और प्रशस्ति पत्र इन्हीं अधिकारियों को प्रदान करते हुए श्रेय दिया जाता है। ऐसे में अगर शहर के अंदर विकास कार्यों में शिथिलता, स्वच्छता का अभाव होता है तो नैतिकता के आधार पर और नियमों के आधार पर भी इसकी जिम्मेदारी इन्हीं लोगों के कंधों पर होती है। दरोगा देवीशरण सिंह द्वारा कोर्ट को दी गई रिपोर्ट में भी इन्हीं अधिकारियों को इसका जिम्मेदार ठहराया गया है जोकि न्यायसंगत और तर्कसंगत दोनों हैं। ऐसे में दरोगा के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई असंतोषजनक प्रतीत होती है।