KNEWS DESK- भारत में कुत्तों के हमलों और रेबीज के मामलों में लगातार इज़ाफा हो रहा है। हर साल लाखों लोग कुत्तों के काटने का शिकार बनते हैं, और सैकड़ों की मौत रेबीज जैसे जानलेवा वायरस से हो जाती है। जहां एक तरफ कुत्तों से प्यार करने वाले लोग उन्हें अपने परिवार का हिस्सा मानते हैं, वहीं दूसरी तरफ आम लोगों में दहशत भी है कि कहीं किसी संक्रमित जानवर के संपर्क में आकर वे खतरे में न पड़ जाएं।
इन्हीं चिंताओं के बीच सबसे आम सवाल यह उठता है — क्या कुत्ते के केवल चाटने से रेबीज हो सकता है? आइए, इसका जवाब मेडिकल और साइंटिफिक फैक्ट्स के साथ समझते हैं।
राजस्थान पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के डॉ. एन.आर. रावत के अनुसार, अगर कोई वैक्सीनेटेड यानी रेबीज से सुरक्षित कुत्ता किसी इंसान को चाटता है, तो चिंता की जरूरत नहीं होती। लेकिन अगर कुत्ता संक्रमित है या उसे एंटी-रेबीज वैक्सीन नहीं लगी है, और वह किसी कट, घाव या ताजा खरोंच को चाटता है, तो रेबीज वायरस ट्रांसफर हो सकता है।
रेबीज के वायरस कुत्ते की लार में मौजूद रहते हैं, और उन्हें इंसानी शरीर में प्रवेश करने के लिए खुला रास्ता (जैसे घाव या म्यूकस मेम्ब्रेन) चाहिए होता है।
AIIMS और WHO की गाइडलाइंस के मुताबिक, अगर किसी इंसान की खुली त्वचा, पुराना या ताजा घाव, या मुँह/आंख/नाक के अंदरूनी हिस्से पर संक्रमित कुत्ते की लार लगती है, तो रेबीज का संक्रमण संभव है। वायरस लार से शरीर में जाता है और वहां से नर्वस सिस्टम में पहुंचकर दिमाग पर अटैक करता है। एक बार वायरस नर्वस सिस्टम में पहुंच गया, तो इसके बाद बचाव बेहद मुश्किल हो जाता है। वायरस के असर की अवधि 5 से 15 दिन तक हो सकती है, और इससे मौत भी हो सकती है।
जब कुत्ता रेबीज से संक्रमित हो और आपके शरीर पर कहीं भी कट या जख्म हो। वह आपके होंठ, आंख या मुँह को चाटे।पुराने घाव पर लार लगे। संक्रमित जानवर की लार अगर म्यूकस मेम्ब्रेन (जैसे मुँह का अंदरूनी हिस्सा) से संपर्क करे।
अगर आपको लगे कि कुत्ता संक्रमित हो सकता है और उसने किसी जख्मी हिस्से को चाटा है, तो घबराएं नहीं, तुरंत ये कदम उठाएं प्रभावित हिस्से को 15 मिनट तक बहते पानी और साबुन से धोएं। एंटीसेप्टिक (जैसे आयोडीन, स्पिरिट) लगाएं। तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टर के कहे अनुसार रेबीज वैक्सीन (Post Exposure Prophylaxis) लगवाएं।
अगर कोई भी संदेह है कि संक्रमित जानवर के संपर्क में आए हैं, तो वैक्सीन लगवाना ही सबसे सुरक्षित उपाय है। कई बार लोगों को लगता है कि अगर काटा नहीं है, तो वैक्सीन की जरूरत नहीं है, लेकिन चाटने और लार के ज़रिए भी संक्रमण का खतरा बना रहता है।