उपराष्ट्रपति चुनाव: बी. सुदर्शन रेड्डी ने भरा नामांकन, NDA से होगा सीधा मुकाबला, 9 सितंबर को वोटिंग

KNEWS DESK- देश के अगले उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनावी मुकाबला अब औपचारिक रूप से तय हो गया है। कांग्रेस और INDIA गठबंधन की ओर से उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी ने आज अपना नामांकन दाखिल कर दिया है। इससे पहले एनडीए के उम्मीदवार सी.पी. राधाकृष्णन भी नामांकन कर चुके हैं। दोनों ही उम्मीदवार दक्षिण भारत से हैं, और अब 9 सितंबर को होने वाले चुनाव में आमने-सामने होंगे।

नामांकन के दौरान विपक्ष की ताकत और एकता का प्रदर्शन साफ नजर आया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, शरद पवार, प्रियंका गांधी, जयराम रमेश समेत विपक्ष के कई दिग्गज नेता बी. सुदर्शन रेड्डी के साथ मौजूद रहे। रेड्डी के नामांकन पत्र पर करीब 80 सांसदों ने हस्ताक्षर किए, जिनमें डीएमके सांसद तिरुचि शिवा और सपा सांसद रामगोपाल यादव भी शामिल हैं।

नामांकन से पहले मीडिया से बातचीत करते हुए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्डी ने कहा, “संख्याएं जरूर मायने रखती हैं… लेकिन मुझे उम्मीद है। मैं किसी राजनीतिक दल से नहीं हूं, इसलिए मुझे भरोसा है कि सभी सांसद मेरी उम्मीदवारी का समर्थन करेंगे। यह सिर्फ चुनाव नहीं, विचारधारा की लड़ाई है।”

आज नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख थी और अब तक केवल दो उम्मीदवारों ने ही नामांकन दाखिल किया है – बी. सुदर्शन रेड्डी और सी.पी. राधाकृष्णन। 25 अगस्त तक उम्मीदवार अपना नाम वापस ले सकते हैं, हालांकि दोनों ही उम्मीदवारों की ओर से चुनाव लड़ने की स्पष्ट मंशा दिख चुकी है।

कैसे होता है उपराष्ट्रपति का चुनाव?

इस चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा के सभी निर्वाचित और मनोनीत सांसद वोट डालते हैं।

वोटिंग गुप्त बैलेट के जरिए होती है।

कोई भी राजनीतिक दल व्हिप जारी नहीं कर सकता, यानी सांसद अपनी इच्छा से वोट डाल सकते हैं।

यह चुनाव पूरी तरह अनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली (Proportional Representation) और एकल हस्तांतरणीय मत (Single Transferable Vote) के आधार पर होता है।

वोटिंग और काउंटिंग दोनों 9 सितंबर को ही की जाएगी।

संसद में मौजूदा संख्या बल के हिसाब से एनडीए के उम्मीदवार सी.पी. राधाकृष्णन की जीत लगभग तय मानी जा रही है। भाजपा और उसके सहयोगियों के पास विपक्ष से 79 सांसद अधिक हैं। इसके बावजूद विपक्ष ने बी. सुदर्शन रेड्डी को मैदान में उतारकर यह संदेश दिया है कि “हम सिर्फ जीतने के लिए नहीं, लोकतंत्र और विचारधारा की लड़ाई लड़ने के लिए मैदान में हैं।”