2026 की कहानी ,पहाड़ का पानी और जवानी ?

उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, उत्तराखंड में जबरन धर्मांतरण का कानून अब और भी सख्त कर दिया गया है। धार्मिक स्वतंत्रता कानून में संशोधन करते हुए जबरन धर्मांतरण पर गैंगस्टर लगेगा और इसमें 14 वर्ष तक की सजा होगी। उत्तराखंड सरकार ने बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में यह महत्वपूर्ण फैसला लिया गया है। जिसके बाद जबरन धर्मांतरण करने वालों पर अब और सख्ती की जाएगी। वही अग्निवीरों के लिए भी प्रदेश सरकार ने संविदा पदों पर भर्ती में आरक्षण के प्रस्ताव पर मुहर लगाई है। धामी कैबिनेट ने अग्नि वीरों को सेवाकाल पूरा होने पर समूह ‘ग’ के वर्दीधारी पदों पर सीधी भर्ती में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण दिए जाने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए अग्निवीरों का उत्तराखंड का मूल निवासी या स्थायी निवासी होना जरूरी है। कैबिनेट के अनुसार अगले वर्ष रिटायर होने के बाद अग्निवीरों की 850 पदों पर भर्ती की जाएगी। वही मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस का कहना है कि सरकार के पास नौकरियां ही नही है. सरकार नौकरियां खत्म करती जा रही है। कांग्रेस ने इसे एक सपना करार दिया है।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में 26 प्रस्ताव पास किए गए, जिसमें जबरन धर्मांतरण और अग्निवीरों का प्रस्ताव प्रमुख रहा। कैबिनेट ने साफ किया है कि यदि जबरन धर्मांतरण का किया गया तो सख्ती से निपटा जाएगा। इसके लिए धार्मिक स्वतंत्रता कानून में संशोधन किया गया है और अब इस पर गैंगस्टर जैसे सख्त कानून लागू किए जाएंगे। जिसके तहत 14 वर्ष तक की सजा होगी। उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता संशोधन विधेयक-2025 पर कैबिनेट की मुहर लग गई है। यह तुरंत प्रदेश में लागू हो जाएगा। इससे जहां धर्म परिवर्तन पर सख्ती होगी तो वहीं डिजिटल माध्यम और छद्म पहचान पर भी रोक लगेगी. लालच देकर किसी से धर्मांतरण नहीं कराया जा सकेगा। जैसे कि कोई उपहार, धन, रोजगार, किसी धार्मिक संस्था द्वारा संचालित स्कूल या कॉलेज में निशुल्क शिक्षा, विवाह करने का वचन देना, बेहतर जीवन का लालच, किसी धर्म की प्रथाओं, अनुष्ठानों और उसके किसी अभिन्न अंग को किसी अन्य धर्म के संबंध में हानिकारक तरीके से प्रस्तुत करना या एक धर्म को दूसरे धर्म के विरुद्ध महिमामंडित करना शामिल है। वहीं डिजिटल माध्यम में या छद्म पहचान रख कर दूसरे को धोखा देना इसी अपराध की श्रेणी में आएगा। जिसको लेकर वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने भी स्वागत किया है। शादाब शम्स का कहना है कि देवभूमि के देवत्व को बचाना बहुत आवश्यक है. देवभूमि का तप ही है जहाँ की बात हिमालय से लेकर कन्याकुमारी तक जाती है, मुख्यमंत्री धामी अपने कड़े निर्णयों के लिए जाने जाते है. झूठ, धोखा, लालच देकर धर्मांतरण के विषयों को देवभूमि में किसी भी तरह से बर्दाश्त नहीं किया जायेगा, जिस प्रकार से धामी कैबिनेट में धर्मांतरण के आरोपियों को लेकर सख्त प्रस्ताव पारित हुआ है यह पूरे देश के लिए एक मिसाल बनेगा. और धर्मांतरण के मामले जिस तरह से देश में सामने आ रहे है. हर राज्य की सरकार को इस प्रकार का कदम उठाना चाहिए।

वही धामी कैबिनेट ने अग्नि वीरों को सेवाकाल पूरा होने पर समूह ‘ग’ के वर्दीधारी पदों पर सीधी भर्ती में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण दिया जाएगा। इसके लिए अग्निवीरों का उत्तराखंड का मूल निवासी या स्थायी निवासी होना जरूरी है। कैबिनेट के अनुसार अगले वर्ष रिटायर होने के बाद अग्निवीरों की 850 पदों पर भर्ती की जाएगी। जिसमे आरक्षण राज्य अधीन समूह ग की वर्दीधारी पदों की सीधी भर्तियों में गृह, वन, आबकारी, परिवहन और सचिवालय प्रशासन विभागों की वर्दीधारी भर्तियों में अग्निवीरों को यह आरक्षण मिलेगा. यह निर्णय केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना के तहत भर्ती हुए अग्निवीरों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है. जिनमें से 75% वर्ष 2026 में सेवा से मुक्त होकर समाज की मुख्यधारा में लौटेंगे. ऐसे युवाओं को पुनः समाज में समायोजित करने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने अग्निवीर क्षैतिज आरक्षण नियमावली 2025 को मंजूरी दी है. कैबिनेट बैठक में तय किया गया कि गृह विभाग, वन विभाग, आबकारी विभाग, परिवहन विभाग और सचिवालय प्रशासन विभाग की वर्दीधारी भर्तियों में अग्निवीरों को 10% क्षैतिज आरक्षण मिलेगा. गृह विभाग में पुलिस आरक्षी, उप निरीक्षक, पलटन कमांडर, अग्निशामक, फायरमैन, द्वितीय अधिकारी, बंदी रक्षक और उपकारापाल जैसे पदों पर यह आरक्षण लागू होगा. वन विभाग में वन आरक्षी और वन दरोगा, आबकारी विभाग में आबकारी सिपाही, परिवहन विभाग में प्रवर्तन सिपाही और सचिवालय प्रशासन विभाग में सचिवालय रक्षक के पदों पर भी अग्निवीरों को यह लाभ मिलेगा. सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि अग्निवीरों को सेना में बिताए गए वर्षों के अनुसार आयु सीमा में छूट दी जाएगी. साथ ही इस आरक्षण का लाभ केवल उत्तराखंड के मूल या स्थायी निवासियों को ही मिलेगा. यह कदम राज्य सरकार की ओर से अग्निवीरों के भविष्य को सुरक्षित करने और उन्हें सम्मान जनक रोजगार उपलब्ध कराने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है।

सरकार ने अग्निवीरों को संविदा पदों पर भर्ती में आरक्षण के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी। अब अग्निवीरों को सेवाकाल पूरा होने पर समूह ग के वर्दीधारी पदों की सीधी भर्ती में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण दिया जाएगा। इसमें अग्निवीरों का उत्तराखंड का मूल निवासी या स्थायी निवासी होना जरूरी है। अगले वर्ष 2026 में रिटायर होने के बाद 850 पदों पर भर्ती दी जाएगी।आपको बता दे देवभूमि वीर जवानों की वीरता जानी जाती है. केन्द्रीय सरकार की अग्निवीर योजना को लेकर बीते वर्षो में जम कर इसका विरोध हुआ था.सरकार ने दावा किया था भविष्य में 4 साल सेवा देने के बाद राज्य सरकार और केंद्र की सरकार आने वाले समय में इन अग्नि वीरो का भविष्य व्यर्थ नहीं जाने देगी सेना में गए अग्नि वीरो का कार्यकाल 2026 में समाप्त होने जा रहा है अब सरकार की अग्नि परीक्षा का समय आ चुका है देखना होगा क्या सरकार इन अग्निवीरो का उज्जवल भविष्य तय करने साथ ही आने वाले अग्निवारो को संतुष्ट करने में कामयाब हो पाएगी या आगे इसका कड़ा विरोध देश में देखने को मिलेगा।