KNEWS DESK – चुनाव आयोग ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बिहार में चल रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) को लेकर लगाए गए आरोपों पर सफाई दी। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने विपक्ष द्वारा उठाए गए ‘वोट चोरी’ और ‘ड्यूल वोटिंग’ जैसे आरोपों को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा कि आयोग न तो किसी पक्ष में है और न विपक्ष में, बल्कि सभी के लिए समान है।
उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी है और किसी भी शिकायत के लिए आयोग के दरवाजे हमेशा खुले हैं। उन्होंने साफ कहा कि ‘वोट चोरी’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल गलत है। अगर किसी को संदेह है तो उन्हें कोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहिए था, न कि बेबुनियाद आरोप लगाकर जनता को गुमराह करना चाहिए।
आरोपों पर CEC का जवाब
मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि मतदाताओं की फोटो और पहचान सार्वजनिक करना पूरी तरह से गलत है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या आयोग को भी मतदाताओं की निजी तस्वीरें या वीडियो सार्वजनिक करने चाहिए? उन्होंने कहा कि मतदाता सूची में जिनके नाम हैं, सिर्फ वही वोट डाल सकते हैं।
ज्ञानेश कुमार ने बताया कि लोकसभा चुनाव जैसी बड़ी प्रक्रिया में 1 करोड़ से ज्यादा कर्मचारी, 10 लाख से ज्यादा बूथ लेवल एजेंट, और 20 लाख से अधिक पोलिंग एजेंट शामिल होते हैं। इतनी बड़ी और पारदर्शी प्रक्रिया में किसी भी मतदाता द्वारा वोट चोरी करना संभव ही नहीं है।
जमीनी स्तर पर पारदर्शिता
CEC ने कहा कि राजनीतिक दलों के स्थानीय कार्यकर्ता, बूथ लेवल अधिकारी और मतदाता मिलकर सत्यापन प्रक्रिया को मजबूत बना रहे हैं। सभी दस्तावेजों पर हस्ताक्षर हो रहे हैं और वीडियो प्रशंसापत्र भी तैयार किए जा रहे हैं। इसके बावजूद कुछ नेताओं द्वारा तथ्यों को नजरअंदाज कर अफवाहें फैलाई जा रही हैं।
आयोग का कड़ा संदेश
ज्ञानेश कुमार ने कहा कि जब बिहार के 7 करोड़ से ज्यादा मतदाता आयोग के साथ खड़े हैं, तो न आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल उठ सकता है और न ही मतदाताओं की निष्ठा पर। उन्होंने दो टूक कहा कि झूठे आरोपों से न चुनाव आयोग डरता है और न ही भारत का मतदाता। आयोग हर वर्ग—गरीब, अमीर, महिला, बुजुर्ग, युवा और सभी धर्मों के मतदाताओं के साथ निडर होकर खड़ा है और हमेशा खड़ा रहेगा।