स्वतंत्रता दिवस 2025: लाल किले से पीएम मोदी का संदेश- आत्मनिर्भर भारत, स्वच्छ ऊर्जा और राष्ट्रहित का संकल्प

KNEWS DESK- भारत ने 15 अगस्त 2025 को अपना 79वां स्वतंत्रता दिवस गर्व और सम्मान के साथ मनाया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगातार 12वीं बार ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर से तिरंगा फहराया और राष्ट्र को संबोधित किया। उनका भाषण न केवल बीते वर्षों की उपलब्धियों का लेखा-जोखा था, बल्कि आने वाले समय के लिए एक स्पष्ट और दृढ़ राष्ट्रीय विजन भी प्रस्तुत करता है।

प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में सफल रहे ऑपरेशन सिंदूर का उल्लेख करते हुए देश की रक्षा क्षमताओं पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत ने मेड इन इंडिया हथियारों की बदौलत इस ऑपरेशन को बेहद कुशलता और गोपनीयता के साथ अंजाम दिया।

“अगर हम आत्मनिर्भर न होते, तो शायद ऑपरेशन सिंदूर इतनी तीव्रता और सफलता से नहीं हो पाता। आज हमारी सेना को अपने ही देश में बने आधुनिक हथियार मिल रहे हैं और यही हमारी ताकत बन रही है।” – पीएम मोदी

उन्होंने डिफेंस सेक्टर में बीते 10 वर्षों में आत्मनिर्भरता की दिशा में हुए कार्यों की सराहना की और इसे आने वाले भारत की सुरक्षा नीति की रीढ़ बताया।

प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना सिंधु जल संधि पर सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि अब समय आ गया है जब भारत को उसके हिस्से का पानी मिलना चाहिए। उन्होंने कहा, “भारत ने तय किया है कि खून और पानी साथ-साथ नहीं बह सकते। सिंधु जल संधि एकतरफा और अन्यायपूर्ण थी। हिंदुस्तान के किसानों को उनके हिस्से का पानी मिलना ही चाहिए।”

यह बयान देश की जल नीति में आने वाले बदलाव की ओर इशारा करता है, जो राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखते हुए लिए जाएंगे।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में भारत की स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में ऐतिहासिक उपलब्धि का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि भारत ने जो लक्ष्य 2030 तक हासिल करने का तय किया था — यानी 50% क्लीन एनर्जी का उपयोग — उसे देशवासियों के प्रयासों से 2025 में ही पूरा कर लिया गया है।

“जब दुनिया ग्लोबल वॉर्मिंग से चिंतित है, भारत समाधान का रास्ता दिखा रहा है। यह हमारी प्रकृति के प्रति जिम्मेदारी और दूरदर्शिता का प्रतीक है।”

प्रधानमंत्री ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि देश को पेट्रोल-डीजल के आयात पर भारी खर्च करना पड़ता है। अगर ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल कर ली जाए, तो यह पैसा युवाओं की शिक्षा, किसानों की मदद, गांवों के विकास और गरीबी हटाने जैसे कार्यों में लग सकता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि विकसित भारत की ओर बढ़ते कदमों में ऊर्जा स्वतंत्रता एक निर्णायक मोड़ होगा।