KNEWS DESK- उत्तर प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के तीसरे दिन एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर आर्डिनेंस विधेयक को मंजूरी दे दी गई। इस विधेयक के माध्यम से मंदिर की व्यवस्थाओं को सुव्यवस्थित करने, धार्मिक परंपराओं को संरक्षित रखने और श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं प्रदान करने का रास्ता साफ हो गया है। यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब सदन में “विकसित भारत, विकसित यूपी – विजन 2047” पर 24 घंटे की विशेष चर्चा जारी है।
नए विधेयक के अनुसार, श्री बांके बिहारी मंदिर न्यास का गठन किया जाएगा, जिसे मंदिर की समस्त चल-अचल संपत्तियों का पूर्ण नियंत्रण और अधिकार प्राप्त होगा। इसमें मंदिर में स्थापित मूर्तियां, चढ़ावे, दान, भेंट, अनुष्ठान से संबंधित संपत्ति, नकद अर्पण, आभूषण, हुंडी संग्रह, और अन्य सभी प्रकार की मंदिर से जुड़ी संपत्तियां शामिल होंगी। यहां तक कि डाक या बैंक ड्राफ्ट के माध्यम से भेजे गए दान भी न्यास के अधीन होंगे।
सरकार ने स्पष्ट किया है कि न्यास का गठन स्वामी हरिदास जी की परंपरा को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से किया गया है। मंदिर के परंपरागत त्योहार, अनुष्ठान, पूजा-पद्धति और रीति-रिवाजों में कोई हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा। पुजारियों की नियुक्ति, वेतन और सेवा शर्तें भी न्यास द्वारा ही तय की जाएंगी।
श्रद्धालुओं को बेहतर अनुभव देने के लिए न्यास मंदिर परिसर में व्यापक सुविधाओं का विकास करेगा। इसमें शामिल हैं:
- वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगों के लिए विशेष दर्शन मार्ग
- पेयजल और विश्राम हेतु बेंच
- दर्शन के लिए कतार प्रबंधन और कियोस्क
- गौशाला, अन्नक्षेत्र, रसोईघर, होटल, सराय और प्रतीक्षालय
- प्रदर्शनी कक्ष और भोजनालय जैसी आधुनिक व्यवस्थाएं
न्यास में कुल 18 सदस्य होंगे, जिनमें 11 मनोनीत सदस्य, जो विभिन्न वैष्णव और सनातन परंपराओं, गोस्वामी परिवार और समाजसेवी क्षेत्रों से होंगे, 7 पदेन सदस्य, जिनमें मथुरा के जिलाधिकारी, एसएसपी, नगर निगम आयुक्त, ब्रज तीर्थ विकास परिषद और मंदिर ट्रस्ट के CEO सहित सरकार का नामित अधिकारी शामिल है
अगर कोई पदेन सदस्य सनातन धर्म को नहीं मानता है, तो उसकी जगह उससे कनिष्ठ अधिकारी को नियुक्त किया जाएगा, जिससे धार्मिक भावनाओं का सम्मान बना रहे।