वोट चोरी और SIR के खिलाफ सड़कों पर सांसद, दिल्ली पुलिस ने रोका विपक्षी सांसदों का परेड मार्च, अखिलेश यादव बैरिकेटिंग में चढ़े

डिजिटल डेस्क- राहुल गांधी द्वारा बीते दिनों प्रेस वार्ता कर चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए लाभ बीजेपी को पहुंचाने का आरोप लगाया था। राहुल के इन आरोपों के बाद देश में चुनाव आयोग से जवाब मांगने और उसकी निंदा करने का दौर चल पड़ा। विपक्ष की ओर से सभी सांसदों ने चुनाव आयोग के इस निष्पक्षताहीन रवैये और वोट चोरी तथा बिहार में SIR के विरोध में चुनाव आयोग कार्यालय तक पैदल मार्च करने का निर्णय लिया था। इसी क्रम में राहुल गांधी की अध्यक्षता में अखिलेश यादव, प्रियंका गांधी, शशि थरूर, पैदल मार्च निकाला।

दिल्ली पुलिस ने बीच में ही रोका मार्च

दिल्ली पुलिस ने इस मार्च को बीच में ही रोक दिया। पुलिस ने पहले ही कहा था कि संसद से चुनाव आयोग मुख्यालय तक मार्च को लेकर कोई स्वीकृति नहीं ली गई है। सांसदों को रोके जाने के बाद उन्हें सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते देखा गया। प्रियंका गांधी, शशि थरूर भी इस मार्च में शामिल हुए।

अखिलेश ने लगाए उपचुनाव में वोट लूटने का आरोप

मार्च के दौरान अखिलेश यादव ने कहा कि वोट की चोरी पहली बार नहीं है। इसके पहले समाजवादी पार्टी ने कई बार चुनाव में भी इस तरह का मुद्दा उठाया है। पुलिसकर्मी सादे कपड़ों में मतदान केंद्रों पर मौजूद रहते हैं। वह ये सुनिश्चित करते हैं कि ज्यादा से ज्यादा वोट भाजपा को पड़ें। अखिलेश ने कहा कि मिल्कीपुर उपचुनाव में वोट लूटे गए थे। हमें उम्मीद है कि कांग्रेस पार्टी बेईमान अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी।

बैरिकेटिंग पर चढ़े अखिलेश यादव

दिल्ली पुलिस द्वारा बिना अनुमति के मार्च निकालने को लेकर मार्च को बीच सड़क पर ही रोक दिया गया। जिसके बाद विपक्षी सांसदों ने हंगामा करते हुए चुनाव आयोग के खिलाफ नारेबाजी करते हुए धरने पर बैठ गए। दिल्ली पुलिस के इस कारनामे के बाद अखिलेश यादव गुस्से में पुलिस द्वारा लगाई गई बैरिकेटिंग में चढ़ गए और पुलिस का पहरा पार करने की कोशिश की।

चुनाव आयोग को अपनी विश्वसनीयता के लिए समाधान करना जरूरी- शशि थरूर

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि जब तक लोगों के मन में चुनावों की निष्पक्षता को लेकर संदेह है, तब तक चुनाव आयोग की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंच रहा है। अगर ये संदेह दूर हो जाते हैं, तो चुनाव आयोग की विश्वसनीयता फिर से हासिल की जा सकती है। चुनाव आयोग का अपना हित इन सवालों का समाधान करने में है।