KNEWS DESK- झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक, आदिवासी आंदोलन के पुरोधा और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का सोमवार सुबह दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में 81 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे और उन्हें किडनी संबंधी समस्याओं के चलते 24 जून से अस्पताल में भर्ती कराया गया था। आज सुबह 8:48 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।
झारखंड के मुख्यमंत्री और उनके पुत्र हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया पर यह दुखद समाचार साझा करते हुए लिखा, “आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सभी को छोड़कर चले गए हैं। आज मैं शून्य हो गया हूं।” शिबू सोरेन को उनके अनुयायी श्रद्धापूर्वक ‘गुरुजी’ कहकर पुकारते थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिबू सोरेन के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “शिबू सोरेन एक जमीनी नेता थे, जिन्होंने आदिवासी समुदायों, गरीबों और वंचितों के सशक्तिकरण के लिए जीवनभर काम किया। उनका निधन अपूरणीय क्षति है। मैंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से बात कर शोक संवेदना व्यक्त की है। ॐ शांति।”
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा, “शिबू सोरेन समाज के कमजोर वर्गों विशेष रूप से जनजातीय समाज के अधिकारों के लिए आजीवन संघर्षरत रहे। वे हमेशा जमीन से जुड़े नेता रहे। उनके निधन से अत्यंत दुःखी हूं।”
शिबू सोरेन झारखंड आंदोलन की वह प्रेरक शक्ति थे जिन्होंने बिहार से अलग राज्य के निर्माण की लड़ाई को नेतृत्व प्रदान किया। वे तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने, लेकिन किसी भी बार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके:
- 2005: पहला कार्यकाल, सिर्फ 10 दिन
- 2008: दूसरा कार्यकाल, लगभग एक वर्ष
- 2010: तीसरा कार्यकाल, कुछ महीनों तक
इसके अलावा वे आठ बार लोकसभा सांसद चुने गए और केंद्र सरकार में तीन बार कोयला मंत्री (2004, 2004–05, 2006) के रूप में सेवाएं दीं। 1980 में उन्होंने पहली बार लोकसभा जीतकर संसद में प्रवेश किया और तब से लेकर 2014 तक झारखंड की राजनीति में उनका वर्चस्व बना रहा। फिलहाल वे राज्यसभा सांसद थे।
शिबू सोरेन का जीवन झारखंड की धरती से जुड़ी जनभावनाओं, आदिवासी अधिकारों और सामाजिक न्याय की लड़ाई से भरा रहा। उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थापना कर एक लंबा जनांदोलन खड़ा किया और आदिवासी समाज को राजनीतिक चेतना दी।
उनकी संघर्ष यात्रा सिर्फ राजनीति तक सीमित नहीं रही — उन्होंने आदिवासी समाज के जल, जंगल, जमीन के अधिकारों के लिए अनवरत संघर्ष किया और कई बार जेल भी गए।
उनकी राजनीतिक विरासत को अब उनके बेटे हेमंत सोरेन आगे बढ़ा रहे हैं, जो झारखंड के वर्तमान मुख्यमंत्री हैं। पिता-पुत्र की यह जोड़ी झारखंड की राजनीति में सामाजिक न्याय और क्षेत्रीय अस्मिता की प्रतीक रही है।
शिबू सोरेन के पार्थिव शरीर को आज शाम तक रांची लाया जाएगा, जहां राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। झारखंड में सरकार ने राजकीय शोक की घोषणा की है और सभी सरकारी कार्यालयों व संस्थानों में झंडे आधे झुके रहेंगे।