स्कूल की हालत जर्जर, प्रधान के घर होती है पढ़ाई, केवल मिड डे मील के लिए स्कूल पहुंचते हैं बच्चे

शीरब चौधरी- प्राथमिक विद्यालय की बिल्डिंग क्षतिग्रस्त होने के कारण स्कूलों में पढ़ने के बजाय बच्चों की पढ़ाई ग्राम प्रधान के घर में हो रही है। केवल और मिड डे मील के लिए स्कूल में बच्चे जाते हैं। शिक्षा व्यवस्था का माखौल उड़ाने वाली खबर अमरोहा के गजरौला क्षेत्र की है। आपको बता दें कि गढ़ावली में 305 बच्चों का नामांकन है। शुक्रवार को 264 बच्चे उपस्थित हुए, प्रधानाध्यापिका कुमारी पूनम समेत सात महिला शिक्षक , तीन पुरुष शिक्षक और एक महिला शिक्षामित्र है। रेलवे लाइन किनारे स्थित स्कूल भवन में 6 कमरे हैं।

विद्यालय की हालत जर्जर, बच्चों की जिंदगी भगवान भरोसे

इनमें चार कमरे जर्जर हो गए हैं। बारिश में छत से पानी टपकता है, दीवारों में सीलन है, पीछे में चारों कमरों की दीवारें खोखली हो गई है, जगह-जगह से सीमेंट छूटकर गिर रही है। स्कूल के दो कमरें बैठने लायक है। इनमें एक से कक्षा तीन तक के बच्चे बैठकर पढ़ाई करते हैं। शुक्रवार को स्कूल के दोनों कमरों में 177 विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे थे। जबकि 87 बच्चे ग्राम प्रधान के घर पढ़ाई कर रहे थे। कक्षा चार और पांचवी के बच्चों को बैठने के लिए बने कमरों की छात्रा दीवार जर्जर होने के कारण हादसे की आशंका रहती है इसलिए दोनों कक्षा के बच्चों को स्कूल में से 200 मीटर दूर ग्राम प्रधान अर्चना देवी के घर में बैठकर पढ़ाई करने भेजा जाता है।

कार्यालय में पकता है मिड डे मील

वह स्कूल परिसर में प्रार्थना के समय और मध्यान्ह भोजन करने ही आते हैं। प्रधानाध्यापिका ने बताया कि स्कूल परिसर में जगह बहुत कम है इसलिए यहां पर न तो खेलने का मैदान है और ना ही रसोई घर। पुराने एक कार्यालय में बच्चों के लिए में भोजन बनाया जाता है। इसके अलावा बराबर में रेलवे लाइन है और 60 बच्चे रेलवे लाइन पार कर आते-जाते हैं।

अभिभावक बोले स्कूल भेजने में बच्चों का लगा रहता है डर

वही गांव के रहने वाले धर्मपाल, महिला सुरेश ने बताया कि हमारे बच्चे स्कूल आते हैं, लेकिन हमें डर लगा रहता है कि जो बिल्डिंग जर्जर है, उसमें हमारे बच्चे ना बैठे। लेकिन स्कूल की प्रधानाध्यापिका कुमारी पूनम उन्हें जर्जर क्लासों में नहीं बैठने देती है। हमारे कुछ बच्चे ग्राम प्रधान के यहां पर जाकर पढ़ाई करते हैं बाकी के बच्चे दो कमरे जो सही है उनमें पढ़ाई करते हैं। क्योंकि स्कूल के बाकी के चार कमरा पूरी तरह से डर-डर हो चुके हैं बारिश में पानी टपकता है कभी भी कोई भी बड़ा हादसा हो सकता है।

बीते एक साल से कर रही हैं जर्जर स्कूल के मरम्मत की शिकायत

स्कूल की प्रधानाध्यापिका कुमारी चुनम ने जानकारी देते हुए बताया कि उन्होंने अपने स्कूल के चार जर्जर कमरों की एप्लीकेशन पिछले 1 वर्ष से लगती आ रही है। अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई है अब बारिश के कारण बच्चों को पढ़ाई करने में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। कमरों में जर्जर होने के कारण हम बच्चों को नहीं बैठाते हैं। बच्चों की संख्या भी काफी है इसलिए खंड शिक्षा अधिकारी आरती गुप्ता के कहने पर जगह ग्राम प्रधान के यहां चिन्हित की गई। इनमें से कुछ बच्चे ग्राम प्रधान के यहां पढ़ाई करते हैं। यहां तक कि हमारा जो ऑफिस है उसमें भी बच्चों की क्लास चल रही है। विभाग द्वारा कमरों को बनाने का आश्वासन दिया गया है।