KNEWS DESK- वर्ल्ड चैंपियनशिप ऑफ लीजेंड्स (WCL) 2025 एक बार फिर उसी मोड़ पर आ खड़ा हुआ है, जिस पर वह 20 जुलाई को खड़ा था, जब भारत-पाकिस्तान मुकाबला रद्द करना पड़ा था। अब, 10 दिन बाद, स्थिति लगभग वैसी ही है। दोनों टीमें सेमीफाइनल में पहुंच चुकी हैं और 31 जुलाई को उनका आमना-सामना तय है। लेकिन सवाल फिर वही — क्या भारत पाकिस्तान के खिलाफ खेलेगा?
गौरतलब है कि 20 जुलाई को लीग स्टेज में जब भारत और पाकिस्तान के बीच मैच होना था, तो भारतीय खिलाड़ियों ने पाकिस्तान के खिलाफ खेलने से इनकार कर दिया था। इसके पीछे वजह थी पहलागाम में हुआ आतंकी हमला और उसके बाद भारत द्वारा चलाया गया ‘ऑपरेशन सिंदूर’, जिसमें पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया था। इस घटनाक्रम के बाद भारत-पाक संबंधों में तनाव और गहरा गया, और इसका असर सीधे WCL पर पड़ा।
मैच रद्द होने के बाद आयोजकों को फैंस से माफी मांगनी पड़ी थी और कहा गया था कि उनका मकसद सिर्फ क्रिकेट और दर्शकों को आनंद देना था, लेकिन संभव है कि उन्होंने अनजाने में कुछ लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई हो।
अब, जब भारत और पाकिस्तान दोनों सेमीफाइनल में आमने-सामने हैं, फिर वही असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई है। अगर भारत फिर से खेलने से इनकार करता है, तो पाकिस्तान बिना खेले फाइनल में पहुंच जाएगा, जिससे टूर्नामेंट की प्रतिस्पर्धात्मकता और विश्वसनीयता पर सवाल उठ सकते हैं।
टीम इंडिया के पूर्व सलामी बल्लेबाज़ शिखर धवन, जो इस WCL में इंडिया चैंपियंस की ओर से खेल रहे हैं, पहले ही इस मुद्दे पर अपना रुख साफ कर चुके हैं। जब उनसे पूछा गया कि अगर सेमीफाइनल पाकिस्तान से हुआ तो क्या टीम खेलेगी, तो उन्होंने नाराजगी जताते हुए कहा था “आपने सवाल गलत समय और गलत जगह पर पूछा, लेकिन अगर आपने पूछ ही लिया है तो मैं बता दूं कि अगर मैंने पहले नहीं खेला, तो अब भी नहीं खेलूंगा।” उनके अलावा टीम के अन्य खिलाड़ियों का भी यही रुख रहा है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक WCL आयोजक भारत और पाकिस्तान के बीच सीधा सेमीफाइनल मैच रद्द कर सकते हैं और क्रॉस सेमीफाइनल व्यवस्था लागू कर सकते हैं। यानी
- भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया
- पाकिस्तान बनाम साउथ अफ्रीका
हालांकि, इससे भी पूरी समस्या का समाधान नहीं होता, क्योंकि अगर भारत और पाकिस्तान दोनों अपने-अपने सेमीफाइनल जीत लेते हैं, तो फाइनल में एक बार फिर आमना-सामना तय हो जाएगा।
WCL के आयोजकों के सामने इस वक्त सबसे बड़ी चुनौती यही है कि कैसे टूर्नामेंट की प्रतिस्पर्धा और निष्पक्षता को बनाए रखा जाए, साथ ही किसी देश की राजनीतिक या भावनात्मक स्थिति का सम्मान भी किया जाए।