KNEWS DESK- हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को पूरे भारत में श्रद्धा और भक्ति के साथ नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है। यह त्योहार सांपों (नागों) की पूजा और उनके प्रति सम्मान प्रकट करने का एक खास दिन माना जाता है। इस वर्ष नाग पंचमी का शुभारंभ 28 जुलाई रात्रि 11:24 बजे से हुआ है और इसका समापन 30 जुलाई प्रातः 12:46 बजे होगा। इस पावन अवसर पर नाग देवता को दूध अर्पित करने और उनके चित्र या मूर्ति की पूजा करने की परंपरा है। नाग पंचमी पर कालसर्प दोष से मुक्ति, स्वास्थ्य लाभ, और परिवार की समृद्धि के लिए विशेष पूजा की जाती है।
भविष्य पुराण के ब्रह्म पर्व में वर्णित एक कथा के अनुसार, महान ऋषि सुमंतु मुनि ने राजा शतानीक को नाग पंचमी व्रत की महिमा बताई थी। उन्होंने कहा कि सावन शुक्ल पंचमी के दिन नागलोक में विशेष उत्सव होता है। यदि कोई श्रद्धालु इस दिन नागों को गाय के दूध से स्नान कराता है, तो उसके कुल को नागों के भय से मुक्ति मिलती है और कालसर्प दोष समाप्त हो जाता है।
महाभारत में वर्णित एक अत्यंत प्रसिद्ध प्रसंग के अनुसार, अभिमन्यु के पुत्र राजा परीक्षित की मृत्यु तक्षक नामक नाग के काटने से हुई थी। इस घटना के बाद उनके पुत्र जन्मेजय ने सर्पों के विनाश के लिए एक भयंकर यज्ञ का आयोजन किया, जिसमें सभी सांप अग्नि में झुलसने लगे। तक्षक नाग, जो इंद्र के सिंहासन के पीछे छिप गया था, उसे भी यज्ञ खींचने लगा।
तभी ऋषि-मुनियों और देवताओं ने हस्तक्षेप कर यज्ञ रुकवाया और बताया कि यदि पृथ्वी से सारे सांप समाप्त हो गए, तो प्राकृतिक संतुलन बिगड़ जाएगा। यज्ञ रोकने के बाद जले हुए सर्पों की पीड़ा को शांत करने के लिए उन्हें दूध से स्नान कराया गया, और तब से यह परंपरा चली आ रही है।
शिव भक्ति का प्रतीक: नाग पंचमी का सीधा संबंध भगवान शिव से भी है, क्योंकि वे अपने गले में नागराज वासुकी को धारण करते हैं। इस दिन नागों की पूजा शिव भक्ति का एक रूप मानी जाती है।
कालसर्प दोष निवारण: ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार, जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष होता है, उन्हें नाग पंचमी के दिन विशेष पूजा और नागों को दूध अर्पित करने से लाभ मिलता है।
पर्यावरण और जैव विविधता का प्रतीक: सांप, पर्यावरण संतुलन के लिए अत्यंत आवश्यक जीव हैं। नाग पंचमी का पर्व हमें प्राकृतिक जीवन चक्र और सांपों के महत्व की भी याद दिलाता है।