KNEWS DESK- मध्यप्रदेश अब केवल निवेश प्रस्तावों का स्वागत करने वाला राज्य नहीं, बल्कि उद्योगों और उद्यमियों का भागीदार बन चुका है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में प्रदेश सरकार ने एक नई कार्यसंस्कृति विकसित की है जहां नीतियों की घोषणा कागज़ों तक सीमित नहीं रहती, बल्कि ज़मीन पर उनके क्रियान्वयन का वास्तविक प्रभाव दिखता है। यही कारण है कि हाल के दिनों में उज्जैन, शाजापुर और इंदौर में आयोजित तीन विशिष्ट कार्यशालाएं इस प्रयास का जीवंत उदाहरण बनकर सामने आई हैं।
उज्जैन में आयोजित ‘स्टार्ट योर बिजनेस इन 30 डेज’ और ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ पर केंद्रित कार्यशाला में बड़ी संख्या में नए उद्यमियों, निवेशकों और स्टार्टअप प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। सिंगल विंडो सिस्टम, ऑटोमैटिक अनुमतियाँ, ऑनलाइन एप्लिकेशन ट्रैकिंग और जन विश्वास अधिनियम जैसे विषयों पर विस्तार से जानकारी दी गई। इस वर्कशॉप का मूल उद्देश्य यह संदेश देना था कि ‘अब मध्यप्रदेश में उद्योग लगाना सिर्फ एक सपना नहीं, बल्कि एक सहज प्रक्रिया है।’
मुख्यमंत्री डॉ. यादव द्वारा आरंभ किए गए “स्टार्ट योर बिजनेस इन 30 डेज” अभियान की चर्चा विशेष रूप से हुई, जिसमें 30 दिन के भीतर सभी औपचारिकताओं के साथ व्यवसाय शुरू करने की सुविधा प्रदान की जा रही है। यह पहल देशभर में सराहना प्राप्त कर चुकी है और निवेशकों के बीच मध्यप्रदेश को एक भरोसेमंद गंतव्य के रूप में स्थापित कर रही है।
शाजापुर में ‘एक्सपोर्ट प्रमोशन’ विषय पर आयोजित कार्यशाला में यह स्पष्ट हुआ कि अब राज्य सरकार निर्यात को केवल महानगरों तक सीमित न रखकर, जिला और ग्रामीण स्तर तक पहुँचाने के लिए प्रतिबद्ध है। DGFT, ECGC, FIEO और MSME विभाग के विशेषज्ञों ने उपस्थित 100 से अधिक उद्यमियों को निर्यात के विभिन्न चरणों—पंजीयन, प्रमाणीकरण, ब्रांडिंग, जोखिम प्रबंधन और अंतरराष्ट्रीय बाज़ार की पहुँच—पर मार्गदर्शन दिया। 13 नए निर्यातकों ने कार्यशाला के दौरान ही IEC (Import Export Code) के लिए पंजीयन कराकर इस प्रयास को और अधिक व्यावहारिक बना दिया।