उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट , उत्तराखंड महिला कांग्रेस द्वारा बढ़ते महिला अपराधों और अत्याचारों के खिलाफ न्याय मार्च के रूप में प्रदर्शन किया गया। यह मार्च राजभवन की ओर कूच करने के लिए आयोजित किया गया. जिसका नेतृत्व उत्तराखंड महिला कांग्रेस की अध्यक्ष ज्योति रौतेला ने किया। प्रदर्शन का उद्देश्य महिलाओं की सुरक्षा और उनके खिलाफ हो रही नाइंसाफी को लेकर बीजेपी सरकार की नाकामी को उजागर करना है। पुलिस ने प्रदर्शन के दौरान कांग्रेस महिला प्रदेश अध्यक्ष ज्योति रौतेला और कई अन्य महिला कांग्रेस कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया। महिला कांग्रेस ने इसे तानाशाही और दमनकारी कार्रवाई करार देते हुए कहा कि उनकी आवाज को दबाया नहीं जा सकता। वही कल महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष ज्योति रौतेला के नेतृत्व में महिला कांग्रेस पदाधिकारियों के 5 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने महामहिम राज्यपाल मुलाकात कर राज्य में बढ़ते महिला अपराधों से सम्बन्धित विभिन्न मामलों की ओर राज्यपाल का ध्यान आकर्षित कर ज्ञापन देते हुए महिला अपराधों पर रोक लगाने की मांग की। उन्होंने मांग की कि महिलाओं को न्याय और सुरक्षा दी जाए. साथ ही दोषियों को कड़ी सजा दी जाए। राष्ट्रीय महिला आयोग के आंकड़ों के अनुसार 2023 में महिलाओं के खिलाफ 28,811 शिकायतें दर्ज की गई थीं। इनमें घरेलू हिंसा और अन्य उत्पीड़न की शिकायतें प्रमुख थीं। यह प्रदर्शन महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों पर ध्यान आकर्षित करने और नीतिगत बदलाव की मांग करना है। जिसको लेकर प्रदेश की राजनीति गरमा गई है।
उत्तराखण्ड में महिलाओं और बच्चियों के खिलाफ बढ़ते जघन्य अपराधों को लेकर महिला कांग्रेस ने एक दिन पहले प्रदर्शन किया. और कल राज्यपाल से हस्तक्षेप की मांग की। महिला कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ज्योति रौतेला के नेतृत्व में राज्यपाल से मिलकर महिला अपराध पर कदम उठाने की मांग की। सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया कि पिछले तीन वर्षों में महिलाओं के खिलाफ हिंसा, बलात्कार और हत्या की घटनाओं में चिंताजनक वृद्धि हुई है. जिससे देवभूमि की अस्मिता आहत हुई है। ज्ञापन में दिए गए आंकड़ों के मुताबिक, पिछले तीन वर्षों में प्रदेश में महिलाओं के साथ दुष्कर्म की 1822 घटनाएं दर्ज हुईं, जबकि 318 अज्ञात महिलाओं के शव मिले जिनमें से केवल 87 की पहचान हो पाई। इसी अवधि में 10,500 महिलाएं लापता हुईं, जिनमें से 767 का अब तक कोई पता नहीं चल पाया है। प्रदेश में महिला अपराधों से जुड़े 1,03,947 मुकदमे दर्ज हुए। ज्योति रौतेला ने आरोप लगाया कि अंकिता भंडारी हत्याकांड के बाद भी प्रदेश में सामूहिक दुष्कर्म और हत्याओं की घटनाएं नहीं रुकीं और कई मामलों में सत्ताधारी दल के लोगों की संलिप्तता उजागर हुई है, जिससे पुलिस और प्रशासन की निष्पक्षता पर सवाल उठे हैं। ज्ञापन में पिछले वर्षों में हुई कई घटनाओं का भी उल्लेख किया गया. जिनमें सितम्बर 2022 में अंकिता भंडारी की हत्या, जून 2024 में बहादराबाद में 13 वर्षीय बच्ची से सामूहिक बलात्कार व हत्या, जुलाई 2024 में रुद्रपुर में महिला नर्स के साथ सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या और जून 2025 में हरिद्वार में 4 वर्षीय मासूम की हत्या जैसी घटनाएं शामिल हैं।
महिला कांग्रेस ने राज्यपाल से चार मुख्य मांगें की हैं।
महिला एवं बाल अपराधों की जांच के लिए विशेष आयोग या उच्च स्तरीय कमेटी का गठन।
उत्तराखंड महिला आयोग व बाल आयोग को भंग कर इन्हें स्वतंत्र और सक्रिय रूप से पुनर्गठित किया जाए।
महिला अपराधों पर चुप्पी साधने वाले मंत्रियों और अधिकारियों से स्पष्टीकरण लिया जाए।
गंभीर मामलों में सीबीआई या एसआईटी जांच कराई जाए
ज्योति रौतेला ने कहा कि यह किसी राजनीतिक दल का मुद्दा नहीं बल्कि नारी अस्मिता और बेटियों की सुरक्षा का सवाल है। उन्होंने राज्यपाल से अनुरोध किया कि दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई सुनिश्चित करने और महिला अपराधों पर प्रभावी कदम उठाएं।
उत्तराखण्ड का महिला अपराध का डाटा चौंकाने वाला रहा. वहीं अब समय बीतने के साथ यह देखना जरूरी है कि उत्तराखंड में महिला सुरक्षा को लेकर कोई सुधार हुए हैं या नहीं. इसको लेकर उत्तराखंड पुलिस ने महिला अपराध से जुड़े आंकड़े जारी किए तो हैरानी की बात ये रही कि आंकड़ों के हालातों में कुछ खास बदलाव देखने को नहीं मिल रहा है. पुलिस मुख्यालय द्वारा प्रदेश में आपराधिक आंकड़ों में ज्यादातर मामलों में 2023 तक के आंकड़े उपलब्ध करवाए गए हैं. यानी कि 2024 का डाटा अभी तक उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय उपलब्ध नहीं कर पाया है. उत्तराखंड में तीन साल में 1 लाख से ज्यादा मुकदमे दर्ज हुए हैं. 2021 में जहां सबसे ज्यादा मुकदमे 34,875 दर्ज हुए थे. उसके अगले साल यानी साल 2022 में 34,607 मुकदमे दर्ज हुए. वहीं, साल 2023 में इनमें थोड़ी और कमी आई और आपराधिक मुकदमों की संख्या 34,465 रही. उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय से प्राप्त हुई सूचना के अनुसार साल 2021 से 2023 के बीच में बलात्कार की 1,822 घटनाएं हुईं. इस दौरान महिला अपहरण की 1,796 घटनाएं सामने आईं. महिला गुमशुदगी के 4,890 मामले दर्ज हुए तो दहेज हत्या की 190 घटनाएं भी हुई हैं. अगर साल दर साल की बात करें तो उत्तराखंड में साल 2021 में दुष्कर्म की 593 घटनाएं हुई थीं. साल 2022 में दुष्कर्म की 337 घटनाएं हुईं. साल 2023 में दुष्कर्म के 635 घटनाएं हुईं. इसके साथ ही पिछले 5 सालों में 10 हजार 500 महिलाएं और बालिकाएं गुमशुदा थीं. इनमें से पुलिस 9733 को ढूंढ पाई. 757 गुमशुदा महिलाओं की तलाश आज भी जारी है. बात करे इस साल यानी 2025 के जून तक की तो 6 महीने के दौरान 904 महिलाएं और 370 बालिकाएं गुमशुदा हो चुकी हैं. इनमें से 631 महिलाओं और 293 बालिकाओं को ढूंढा जा चुका है. आज भी 273 महिलाएं और 77 बालिकाओं का कुछ अता-पता नहीं है। वही बीजेपी की प्रदेश प्रवक्ता कमलेश रमन का कहना है कि कांग्रेस को हर तरफ राजनीति नज़र आती है. धामी सरकार गलत कृत करने वालो को सज़ा देने का काम करती है. अपना हो पराया हो किसी मे कोई कोताही नही बरती जाती है. कांग्रेस को तो राजनीति करनी है. जनता ने उन्हें सिरे से नकार दिया है.
उत्तराखंड में महिला सुरक्षा को लेकर कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष ज्योति रौतेला के नेतृत्व में पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने राजभवन पहुंचकर राज्यपाल से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपते हुए प्रदेश में बढ़ते महिला अपराधों पर रोक लगाने की मांग की। गौरतलब है कि NCW के आंकड़ों के अनुसार, साल 2023 में महिलाओं के खिलाफ 28,811 शिकायतें दर्ज की गई, जिनमें घरेलू हिंसा और यौन उत्पीड़न जैसे गंभीर मामले शामिल हैं। बीते सोमवार को महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों और अत्याचारों के विरोध में कांग्रेस ने देहरादून में “न्याय मार्च” निकाला था। उसके बाद राज्यपाल लेफिनेट जनरल गुरमीत सिंह ने प्रदेश अध्यक्ष, उत्तराखंड महिला कांग्रेस ज्योति रौतेला ज्ञापन स्वीकार कर लिया है। कांग्रेस नेताओं को उम्मीद है इसके बाद राज्यपाल की और से महिला सुरक्षा को लेकर बड़ी पहल की जाएगी।