पंजाबः नदी पर बना अस्थाई पुल के हटने से टूटा 7 गाँवों का संपर्क, अब इकलौती नाव बनी खेवनहार

डिजिटल डेस्क- पंजाब के गुरदासपुर जिले के सीमावर्ती कस्बे दीनानगर के अंतर्गत मकोड़ा प्लाटून में रवि नदी पर बने स्थाई पल के हटने से रवि नदी के दूसरी तरफ पड़ने वाले 7 गांव का भारत से संपर्क टूट गया। अब इन गांव तक पहुंचाने का एकमात्र सहारा नाव ही है। आजादी के बाद रवि नदी के दूसरी तरफ 14 गांव बसे हुए थे, लेकिन आजादी के 76 साल बीतने के बावजूद किसी भी सरकार ने इन गांव की सुध नहीं ली। जिसके कारण कई लोग इन गांवों को छोड़कर चले गए।

देश को उनकी कोई अहमियत नहीं- ग्रामीण

वर्तमान में रवि नदी के पार 14 गांव में से केवल सात गांव ही मौजूद है। रवि नदी पर स्थायी पुल न होने के कारण इन लोगों के पास कोई सुख-सुविधा भी नहीं पहुंच पाती है, जिसके कारण आज भी देश की आजादी उनके लिए कोई मायने नहीं रखती। रवि नदी पर रहने वाले ग्रामीण लोगों ने बताया कि भारत पाकिस्तान सीमा से सटे करीब एक दर्जन गांवों के लोग यूं तो भारत का हिस्सा है, लेकिन बरसात के दिनों में इन गांव के लोग खुद को असहाय महसूस करते है। आजादी के इतने सालों बाद नदी के उस पार रहने वाले सात गांवों के लोग खुद को गुलाम समझते हैं, क्योंकि जब भी अस्थाई पुल को हटाया जाता है तो उनका संपर्क टूट जाता है।

हमें ये नहीं पता कि हम किस देश के नागरिक हैं- ग्रामीण

लोगों का कहना है कि आजकल हमें यह भी नहीं पता कि हम किस देश के नागरिक है, क्योंकि यह इलाका दो नदियों के पार और LOC के साथ है। बरसात के दिनों में नहर विभाग द्वारा बनाया गया प्लाटून पुल को हटा दिया जाता है और लोगों को आवागमन के लिए एक ही नाव का सहारा लेना पड़ता है। नदी में पानी का स्तर अधिक होने के कारण कई बार यह दुर्गम हो जाता है और इसके पार के साथ गांव टापू बन जाते हैं और फिर लोगों के आवागमन के लिए कोई रास्ता नहीं बचता है। रवि नदी के उस पार बसे 7 गांवो भरयाल, तुरबानी, रायपुर, मम्मी चांग, काजले, झुंबर और लसियां आज के लोग सरकार से हर साल एक स्थाई पुल की उम्मीद करते हैं, लेकिन कुछ भी नहीं मिलता।

बरसात आने पर हट जाता है अस्थाई पुल

उल्लेखनीय है कि मकोड़ा पतन पर दो नदियां मिलती है एक जम्मू कश्मीर से आने वाली बरसाती नदी और दूसरी शिवलिंग पहाड़ों से आने वाली सदाबहार रवि नदी। जो माधोपुर से होकर गुजरती है। इस स्थान पर यह उज्जं नदी से मिलकर झील का रूप ले लेती है। इस स्थान पर विभाग हर साल अक्टूबर नवंबर माह में एक अस्थाई प्लाटून लगाता है और बरसात आने पर हटा देता हैं, जो नदी पार करने का एकमात्र साधन है। ग्रामीण अपने ट्रैक्टर ट्रालियों में खेती के लिए जरूरी उपकरण लेकर आते जाते हैं