देवो के देव महादेव के पवन पर्व कावड़ यात्रा के दौरान बाबा केदारनाथ के मंदिर को लेकर उत्तरप्रदेश से लेकर उत्तराखंड तक विरोध शुरू हो गया है आपको बता दे. समाजवादी पार्टी के मुखिया और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इटावा में एक भव्य शिव मंदिर का निर्माण करवा रहे हैं। यह मंदिर केदारनाथ धाम की तर्ज पर बनाया जा रहा है और इसे केदारेश्वर मंदिर नाम दिया गया है। महाशिवरात्रि के अवसर पर अखिलेश यादव ने इस मंदिर की एक झलक अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर साझा की, जिससे यह मंदिर सुर्खियों में आ गया। महाशिवरात्रि के मौके पर समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रो. रामगोपाल यादव और अखिलेश यादव के चचेरे भाई अंशुल यादव अपनी पत्नी के साथ मंदिर पहुंचे। उन्होंने भगवान शिव का जलाभिषेक किया और हवन-पूजन में भाग लिया। यह धार्मिक अनुष्ठान विशेष रूप से तमिलनाडु से आए पुजारियों द्वारा संपन्न कराया गया। इटावा सफारी पार्क के सामने बन रहे इस मंदिर में महाशिवरात्रि के अवसर पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। मंदिर में सुबह से ही कांवड़ियों का तांता लगा रहा, जिन्होंने भगवान शिव का जलाभिषेक किया।अब देवभूमि में इटावा में केदारनाथ मंदिर की प्रतिकृति बनाने और इससे मिलते- जुलते नाम रखने से उत्तराखंड सरकार पर कई सवाल खड़े उठ रहे हैं। पूर्व में दिल्ली में श्री केदारनाथ धाम के नाम से मंदिर बनाने पर हुए विवाद के बाद प्रदेश सरकार ने दावा किया था कि कैबिनेट बैठक में चार धामों के नाम का दुरुपयोग करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करने संबंधी प्रस्ताव पारित किया गया है। सवाल उठ रहा है कि प्रदेश सरकार ने ऐसा कुछ कानून बनाया था तो इटावा वाले मामले में क्या कार्यवाही हुई. सबसे आश्चर्य की बात यह है कि इतने गंभीर विषय पर बद्रीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति चुप्पी साधे हुए है। तीरथपरहितो के विरोध के बाद अब इस पर जांच करने की बात कर रही हे इस मुद्दे पर भी सभी राजनैतिक दल अब सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है।
केदारेश्वर मंदिर में इस धार्मिक आयोजन को भव्य बनाने के लिए तमिलनाडु से विशेष पुजारियों को बुलाया गया था। उन्होंने पारंपरिक मंत्रोच्चारण और विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करवाई। सुबह से लेकर देर शाम तक ढोल-नगाड़ों और भजन-कीर्तन की गूंज से पूरा वातावरण भक्तिमय बना रहा।लेकिन इसकी सूचना चार धाम तीर्थ पुरोहित महापंचायत को लगने के बाद केदारनाथ के साथ अन्य धामों में इसका विरोध शुरू हो गया है. तीर्थ पुरोहितों ने उत्तर प्रदेश के सपा से रहे पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सहित उत्तराखंड सरकार को इस विषय पर पत्र जारी कर विरोध जाता है। साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के आवास के बाहर विरोध करने की चेतावनी भी दे दी है इस विषय पर अब सरकार भी तीर्थ पुरोहितों के विरोध को देखते हुए जांच के बाद एक्शन लेने की बात मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की ओर से कर रही है।
केदारेश्वर मंदिर की खास बातें
स्थान: लोहन्ना चौराहे से ग्वालियर हाईवे पर, लायन सफारी के सामने, 2 एकड़ में निर्माण।
भूमि पूजन: 2020 में अखिलेश यादव ने किया।
विशेष स्थान: शिव शक्ति अक्ष रेखा पर स्थित, जहां देश के 8 प्रमुख शिव मंदिर भी बने हैं।
डिजाइन: उत्तराखंड के केदारनाथ मंदिर की तर्ज पर बनाया जा रहा है।
निर्माणकर्ता: मदुरै और कन्याकुमारी के वही शिल्पकार, जिन्होंने तिरुवल्लुवर की प्रतिमा बनाई थी। शिल्पकारों की टीम: 50 शिल्पकार इटावा में, 300 कारीगर तमिलनाडु में काम कर रहे हैं।
लागत: अब तक अनुमानित लागत ₹50-₹55 करोड़। ऊंचाई: मंदिर की ऊंचाई 72 फीट होगी।
7 फीट की शालिग्राम शिला स्थापित।
भूकंप-रोधी निर्माण: परंपरागत तकनीक से बना, प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षित।
केदारनाथ धाम न केवल एक मंदिर है बल्कि यह करोड़ों हिन्दुओं की आस्था का केंद्र है जिसका धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है. ऐसे में उसी स्वरूप और नाम से किसी अन्य राज्य में मंदिर का निर्माण धार्मिक परंपराओं और श्रद्धालुओं की भावनाओं का अपमान है.जिसको लेकर राजनीति भी प्रदेश में जारी है। इटावा में केदार मंदिर की स्थापना को लेकर प्रदेश के सभी राजनैतिक दल सरकार को घेरने के लिए तीर्थ पुरोहितों के साथ हो चुके है सभी का मानना है केदारनाथ या कोई भी देवनागरी के धाम की तर्ज पर मंदिर देश में नहीं बना सकता तो सरकार अभी तक चुप्पी क्यों साधे है अगर इस पर कोई जल्द बड़ा फैसला नहीं लिया गया तो मंदिर तो हम बनने नहीं देंगे और सरकार का प्रदेश में जम कर विरोध भी किया जायेगा
आपको बता दे ये कोई केदारनाथ मंदिर बनने को लेकर पहला विवाद नहीं है इससे पहले भी दिल्ली में केदारनाथ मंदिर के भूमिपूजन के बाद कई जगह से साधु-संतों ने विरोध किया है. यहां तक कि शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने भी इसकी आलोचना की है.और धामी सरकार ने भी पूर्व में दिल्ली में श्री केदारनाथ धाम के नाम से मंदिर बनाने पर हुए विवाद के बाद प्रदेश सरकार ने दावा किया था कि कैबिनेट बैठक में चार धामों के नाम का दुरुपयोग करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करने संबंधी प्रस्ताव पारित किया गया है। दरअसल दिल्ली में इस मंदिर का निर्माण केदारनाथ धाम ट्रस्ट दिल्ली के ज़रिए करवाया जा रहा है. यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब देशभर में धार्मिक प्रतीकों और परंपराओं को लेकर लोगों की संवेदनशीलता लगातार बढ़ रही है. अब देखना होगा कि योगी सरकार और बीकेटीसी इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाते हैं.
उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट