मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू, मणिपुर में राष्ट्रपति शासन बढ़ाने समेत आठ विधेयक होंगे पेश

KNEWS DESK-  संसद का मानसून सत्र आगामी 21 जुलाई से शुरू होने जा रहा है, जिसमें सरकार कई अहम विधेयकों को पेश करने की तैयारी में है। कुल आठ नए विधेयकों के साथ-साथ सरकार मणिपुर में जारी राष्ट्रपति शासन को आगे बढ़ाने के लिए संसद से मंजूरी लेगी। इस कदम से स्पष्ट हो गया है कि सरकार फिलहाल उत्तर-पूर्वी राज्य मणिपुर में राष्ट्रपति शासन हटाने के पक्ष में नहीं है।

गौरतलब है कि मणिपुर में 13 फरवरी 2025 से राष्ट्रपति शासन लागू है, जिसकी छह महीने की वैधानिक समयसीमा 13 अगस्त को समाप्त हो रही है। संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति शासन को जारी रखने के लिए हर छह महीने में संसद की मंजूरी लेना आवश्यक होता है।

इस सत्र में सरकार जिन प्रमुख विधेयकों को लोकसभा में पेश और पारित कराने की योजना बना रही है, उनमें निम्नलिखित शामिल हैं-

  1. मणिपुर वस्तु एवं सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2025

  2. जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) विधेयक, 2025

  3. भारतीय संस्थान प्रबंधन (संशोधन) विधेयक, 2025

  4. कराधान विधि (संशोधन) विधेयक, 2025

  5. भू-विरासत स्थल एवं भू-अवशेष (संरक्षण एवं रखरखाव) विधेयक, 2025

  6. खान एवं खान (विकास एवं विनियमन) संशोधन विधेयक, 2025

  7. राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक, 2025

  8. राष्ट्रीय डोपिंग रोधी (संशोधन) विधेयक, 2025

इसके अलावा संसद में जिन अन्य पुराने विधेयकों को पारित किए जाने की उम्मीद है, उनमें शामिल हैं:

  • गोवा विधानसभा क्षेत्रों में अनुसूचित जनजातियों के प्रतिनिधित्व का पुनर्समायोजन विधेयक, 2024

  • मर्चेंट शिपिंग विधेयक, 2024

  • भारतीय बंदरगाह विधेयक, 2025

  • आयकर विधेयक, 2025

इससे पहले अप्रैल में समाप्त हुए संसद के बजट सत्र के दौरान लोकसभा की उत्पादकता मात्र 18 फीसदी रही थी, जबकि राज्यसभा ने अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन करते हुए 119 फीसदी उत्पादकता दर्ज की थी। दोनों सदनों में कुल 16 विधेयक पारित किए गए थे। इस दौरान कई मुद्दों पर हंगामा भी हुआ, लेकिन संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की रिपोर्ट पेश किए जाने के बाद वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को पारित किया गया।

विशेषज्ञों के अनुसार, मणिपुर में राष्ट्रपति शासन को लेकर विपक्ष सरकार से कड़े सवाल पूछ सकता है, क्योंकि राज्य में लंबे समय से जारी अस्थिरता और कानून व्यवस्था की स्थिति पर पहले भी चिंता जताई जा चुकी है। वहीं, राष्ट्रीय खेल प्रशासन और डोपिंग रोधी विधेयकों को लेकर भी संसद में विस्तार से बहस की उम्मीद है। सत्र के दौरान कई महत्वपूर्ण नीतिगत बदलावों और विधायी पहलों पर नजर रहेगी, जो आने वाले महीनों में देश की राजनीतिक दिशा और सामाजिक व्यवस्था को प्रभावित कर सकते हैं।

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