अंतरिक्ष से ऐतिहासिक वापसी, ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला आज धरती पर लौटेंगे, 288 बार की पृथ्वी की परिक्रमा

KNEWS DESK-  भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की ऐतिहासिक अंतरिक्ष यात्रा आज अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंच रही है। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) से पृथ्वी की ओर रवाना हो चुके शुभांशु और उनके साथ एक्सिओम-4 मिशन के तीन अंतरिक्ष यात्री मंगलवार दोपहर लगभग 3 बजे (भारतीय समयानुसार) कैलिफोर्निया के समुद्री तट पर स्पेसएक्स के ड्रैगन यान से उतरेंगे। इस तरह शुभांशु अंतरिक्ष से लौटने वाले दूसरे भारतीय बन जाएंगे, जो 1984 में राकेश शर्मा के बाद यह उपलब्धि हासिल कर रहे हैं।

26 जून को आईएसएस पहुंचे शुभांशु शुक्ला ने 18 दिनों की अंतरिक्ष यात्रा में पृथ्वी की 288 बार परिक्रमा की। उन्होंने इस मिशन में कई वैज्ञानिक प्रयोगों में हिस्सा लिया और शून्य गुरुत्वाकर्षण में अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, “यह अनुभव बेहद रोमांचक रहा।” अपने समय का सदुपयोग करते हुए शुभांशु ने अंतरिक्ष से धरती की तस्वीरें भी खींचीं, और एक वीडियो में हवा में तैरते पानी के बुलबों के साथ मस्ती करते हुए नजर आए। रवाना होने से पहले शुभांशु और उनके साथियों ने आईएसएस में मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों से गले मिलकर और हाथ मिलाकर विदाई ली। मिशन में शुभांशु के साथ अमेरिका की मिशन कमांडर पैगी व्हिटसन, पोलैंड के स्लावोज उज्नान्स्की-विस्नीव्स्की और हंगरी के टिबोर कापू भी शामिल रहे।

शुभांशु की सकुशल वापसी की खबर से परिवार बेहद उत्साहित और भावुक है। सभी को उनके लौटने का बेसब्री से इंतजार है। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने सोशल मीडिया पर शुभकामनाएं देते हुए लिखा, “शुभांशु, आपका स्वागत है। पूरा देश आपके घर वापस आने का बेसब्री से इंतजार कर रहा है।”

इसरो द्वारा समर्थित इस मिशन पर लगभग ₹550 करोड़ रुपये खर्च किए गए। यह मिशन भारत के महत्वाकांक्षी मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम ‘गगनयान’ के लिए एक मील का पत्थर माना जा रहा है, जिसे 2027 में लॉन्च किया जाना है। शुभांशु शुक्ला का यह अनुभव गगनयान के प्रशिक्षण और क्रियान्वयन में बेहद उपयोगी सिद्ध होगा।

अंतरिक्ष से लौटने के बाद शुभांशु और उनकी टीम को 7 दिनों के ‘रिहैबिलिटेशन फेज’ से गुजरना होगा। शून्य गुरुत्वाकर्षण में लंबे समय तक रहने के बाद शरीर को दोबारा पृथ्वी की परिस्थितियों में ढालने के लिए यह प्रक्रिया जरूरी होती है। वैज्ञानिकों की निगरानी में इस फेज में अंतरिक्ष यात्रियों की स्वास्थ्य जांच, फिजियोथेरेपी और मानसिक स्वास्थ्य मूल्यांकन किया जाएगा।

शुभांशु शुक्ला की यह यात्रा न केवल एक व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि यह भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक नई पहचान का प्रतीक है। आईएसएस जाने वाले पहले भारतीय बनकर उन्होंने भारत को वैश्विक अंतरिक्ष विज्ञान की अग्रणी कतार में लाकर खड़ा कर दिया है। उनकी सुरक्षित वापसी पर पूरा देश गर्व से भरा है और यह संदेश देता है कि भारत अब अंतरिक्ष अन्वेषण की नयी ऊंचाइयों को छूने के लिए तैयार है।

ये भी पढ़ें-   बिहार में वोटर लिस्ट पुनरीक्षण अभियान अंतिम चरण में, अब तक 88% मतदाताओं ने भरे गणना फॉर्म