बिहार में SIR प्रक्रिया पर सियासी बवाल, महागठबंधन ने चुनाव आयोग और एनडीए पर लगाए गंभीर आरोप, बोले-सीधे जनता से करेंगे बात

KNEWS DESK- बिहार में चल रही विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) की प्रक्रिया को लेकर राज्य की सियासत पूरी तरह गरमा गई है। महागठबंधन ने इस प्रक्रिया को लेकर चुनाव आयोग और बीजेपी पर निशाना साधा है। विपक्ष का कहना है कि आयोग केंद्र की सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी के दबाव में काम कर रहा है और धार्मिक ध्रुवीकरण (पोलराइजेशन) को बढ़ावा देने का माध्यम बन गया है।

विपक्ष का कहना है कि वे अब सीधे जनता के बीच जाएंगे और उन्हें जागरूक करेंगे कि कैसे SIR के नाम पर वोटर लिस्ट से नाम काटे जा रहे हैं। महागठबंधन का दावा है कि यह पूरा अभियान एक सुनियोजित साजिश है, जिसके ज़रिए बीजेपी अपने पक्ष में ध्रुवीकरण कराना चाहती है।

सीमांचल को धार्मिक रंग देने का आरोप

महागठबंधन ने यह भी आरोप लगाया कि सीमांचल क्षेत्र में रह रहे नेपाली, बांग्लादेशी और म्यांमार के लोगों के नाम मतदाता सूची में डालकर इसे जानबूझकर धार्मिक मुद्दा बनाया जा रहा है, ताकि आगामी चुनावों में ध्रुवीकरण को हवा दी जा सके। विपक्ष ने पूछा कि जब केंद्र में पिछले 11 साल से बीजेपी की सरकार और राज्य में 20 साल से नीतीश कुमार हैं, तो फिर इन विदेशी नागरिकों के नाम मतदाता सूची में कैसे आ गए? ये प्रशासनिक विफलता है या फिर राजनीतिक चाल?

राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला, लेकिन अब तक चुप्पी क्यों?

विपक्ष ने सवाल उठाया कि अगर यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है, तो इतने वर्षों तक इसे नजरअंदाज क्यों किया गया? क्या वजह है कि बिहार चुनाव से ठीक पहले ही SIR की प्रक्रिया शुरू कर दी गई और लोगों से दस्तावेज़ मांगे जाने लगे? विपक्ष का कहना है कि यह सब सिर्फ और सिर्फ चुनावी फायदे के लिए किया जा रहा है।

बीएलओ पर अवैध वसूली और मनमानी का आरोप

विपक्ष ने बीएलओ (Booth Level Officer) की कार्यशैली पर भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं। बीएलओ घर-घर जाकर सही ढंग से फॉर्म नहीं भर रहे। लोगों को दस्तावेजों के लिए धमकाया जा रहा है और अवैध पैसे वसूले जा रहे हैं। SIR प्रक्रिया को लेकर खुद बीएलओ भी कन्फ्यूजन में हैं। कई जगहों पर वोटर रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरने की जगह जलेबी और समोसे परोसे जा रहे हैं। लोगों में इस प्रक्रिया को लेकर भय और असमंजस है कि कहीं उनका मताधिकार न छीन लिया जाए।

महागठबंधन ने साफ तौर पर आरोप लगाया कि बीजेपी, जेडीयू और चुनाव आयोग का असली एजेंडा दलितों, पिछड़ों, वंचितों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को वोटर लिस्ट से बाहर करना है। यह एक साजिश है जिससे इन वर्गों को राजनीतिक रूप से बेअसर किया जा सके। विपक्ष ने कहा कि वे इस लड़ाई को जनता के साथ मिलकर लड़ेंगे और इसे कामयाब नहीं होने देंगे। बिहार में SIR प्रक्रिया को लेकर सियासी बवाल बढ़ता जा रहा है। जहां सरकार और चुनाव आयोग इसे एक नियमित पुनरीक्षण प्रक्रिया बता रहे हैं, वहीं विपक्ष इसे एक चुनावी साजिश करार दे रहा है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा राज्य की राजनीति का केंद्रबिंदु बन सकता है।