कांवड़ यात्रा शेष,व्यक्ति विशेष !

Knews Desk, 11 जुलाई से शुरू हो रही कांवड़ यात्रा को लेकर उत्तराखण्ड सरकार ने कांवड़ यात्रा के रूट पर मौजूद सभी ढाबों और खाने-पीने की अन्य दुकानों के लिए आदेश जारी कर दिये थे। इस आदेश के मुताबिक कांवड़ यात्रा मार्गों पर सभी ढाबा और दुकान मालिकों को नेम प्लेट लगानी अनिवार्य होगी। उत्तराखंड सरकार ने आदेश मे कहा था कि कांवड़ रूट पर सभी ढाबा और दुकान मालिकों को फोटो पहचान पत्र और रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट लगाना होगा। जानकारी के मुताबिक इसका उल्लंघन करने पर 2 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। कांवड़ यात्रा मार्ग में पड़ने वाले होटल और ढाबों के बाहर बोर्ड में उनके मालिकों के नाम और उनकी पहचान साफ तौर से दर्ज होनी चाहिए. इसी के साथ अब इस आस्था की डोरी पर नया सवाल उठ खड़ा हुए हैं। होटल-ढाबों पर पहचान अभियान चलाने के बाद अब स्वामी यशवीर महाराज ने कांवड़ निर्माण पर भी बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। क्या हमारी आस्था का प्रतीक कांवड़ कहीं पवित्रता से समझौता तो नहीं कर रहा. क्या जो कांवड़ हम शिव जी तक पहुंचाते हैं. वो सही हाथों से बनकर आ रही है.या नहीं। इसी बात को लेकर प्रदेश की सियासत गरमा गई है।

उत्तराखंड में हरिद्वार से लेकर शिवालयों तक कांवड़ यात्रा का दौर चलता है. उत्तराखंड सरकार ने भी पिछले दिनों कांवड़ यात्रा के रूट पर मौजूद सभी ढाबों और खाने-पीने की अन्य दुकानों के लिए आदेश जारी कर दिये थे। इस आदेश के मुताबिक कांवड़ यात्रा मार्गों पर सभी ढाबा और दुकान मालिकों को नेम प्लेट लगानी अनिवार्य कर दी है. लेकिन अब इस आस्था पर एक नया सवाल उठ खड़ा हुआ हैं. होटल-ढाबों पर ‘पहचान अभियान’ चलाने के बाद अब स्वामी यशवीर महाराज ने कांवड़ निर्माण पर भी बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। क्या हमारी आस्था का प्रतीक कांवड़ कहीं पवित्रता से समझौता तो नहीं कर रहा. क्या जो कांवड़ हम शिव तक पहुंचाते हैं वो सही व शुद्ध हाथों से बनकर आ रही है। हरिद्वार पहुंचे कई शिवभक्तों ने भी इस मांग का समर्थन किया है. उनका कहना है कि जिस कांवड़ को वे सौ किलोमीटर पैदल चलकर कंधों पर उठाकर शिव जी तक पहुंचाते हैं. वह न केवल अखंड होनी चाहिए बल्कि उसे सनातन धर्म के लोगों द्वारा बनाया गया होना चाहिए। हम आस्था से कांवड़ उठाते हैं। उसका पवित्र होना बहुत ज़रूरी है। कम से कम ये तो पता चले कि वो किसने बनाई है। वही कावड़ बनाने वाले कारीगर समीर का कहना है कि उन्हें 25 साल हो गए कावड़ बनाते हुए किसी को कोई दिक्कत नही हुई।

वही हरिद्वार में कांवड़ मार्ग पर स्वामी यशवीर महाराज का पहचान अभियान अब एक नई दिशा में बढ़ चुका है. होटल-ढाबों पर नेम प्लेट की मुहिम के बाद अब उन्होंने कांवड़ निर्माण पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने साफ कहा है. थूक जिहाद, मूत्र जिहाद करने वाले मानसिकता के लोग कांवड़ जैसी पवित्र वस्तु को कैसे बना सकते हैं. स्वामी यशवीर का तर्क है कि जो लोग मांसाहार करते हैं. गौहत्या में शामिल रहे हैं या धर्म विशेष की भावनाओं का सम्मान नहीं करते वे कांवड़ की शुद्धता को कैसे बनाए रख सकते हैं। वही स्वामी यशवीर महाराज के इस बयान को विवादित माना जा रहा है. वही योग गुरु स्वामी रामदेव का साफ कहना है कि सनातन धर्म किसी के साथ मारपीट, भेदभाव, ऊंच-नीच या छुआछूत की इजाजत नहीं देता।उन्होंने दो टूक कहा  हिंदू धर्म की असली ताकत उसकी सहिष्णुता है, उसका प्रेम है, उसका धैर्य है।स्वामी रामदेव ने कहा कि हमें अपने स्वधर्म में निष्ठा रखते हुए, बिना किसी को पीड़ा दिए, अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए।उन्होंने गोस्वामी तुलसीदास को उद्धृत करते हुए याद दिलाया  दूसरों को तकलीफ देना ही सबसे बड़ा अधर्म है। रामदेव ने चेताया कि हिंदुत्व के नाम पर यदि कोई व्यक्ति नफरत फैलाता है, भेदभाव करता है या किसी की आस्था पर चोट करता है, तो वह न तो सनातनी है न ही हिंदू।
हिंदू राष्ट्र का मतलब है वो राष्ट्र जो धर्म की आड़ में हिंसा नहीं, बल्कि दुनिया को दिशा देने की शक्ति रखता है. और यही है सनातन की असली पहचान  जहां सभी को समान अधिकार और सम्मान मिले, चाहे वो किसी भी जाति, वर्ग या पंथ से क्यों न हो। वही विपक्ष ने भी कई सवाल खड़े कर दिये है।

कांवड़ यात्रा सिर्फ एक परंपरा नहीं बल्कि यह शिव से जुड़ने की श्रद्धा है। ऐसे में स्वामी यशवीर महाराज की इस चेतावनी ने धर्मनगरी हरिद्वार में नई बहस छेड़ दी है। अब देखना ये होगा कि क्या प्रशासन इस पर भी कोई मानक तय करता है.या नहीं लेकिन इस कावड़ यात्रा पर प्रदेश की सियासत में एक नई बहस देखने को मिल सकती है। आने वाला समय बताएगा। उत्तराखण्ड डेस्क।