ब्रिक्स सम्मेलन 2025: वैश्विक मुद्दों पर एकजुटता, लेकिन नेतृत्व और एकता पर उठे सवाल

KNEWS DESK- ब्राजील की राजधानी में आयोजित 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का रविवार को समापन हुआ। दो दिवसीय इस सम्मेलन में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका सहित ब्रिक्स के नए सदस्यों ने वैश्विक राजनीति, सुरक्षा और आर्थिक नीतियों पर महत्वपूर्ण चर्चा की। हालांकि सम्मेलन ने कई मुद्दों पर एक मजबूत सामूहिक स्वर दिया, फिर भी नेतृत्व की कमी और आंतरिक एकता पर सवाल उठते रहे।

संयुक्त घोषणापत्र में 13 जून को ईरान पर हुए सैन्य हमलों की कड़ी आलोचना की गई। ब्रिक्स नेताओं ने इसे अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन करार दिया। ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने भी सम्मेलन में अमेरिका और इजराइल को इस हमले के लिए जिम्मेदार ठहराने की मांग की। उन्होंने चेतावनी दी कि “इस संघर्ष का प्रभाव एक देश तक सीमित नहीं रहेगा।”

ब्रिक्स नेताओं ने मिडिल ईस्ट और उत्तरी अफ्रीका (MENA) क्षेत्र में चल रही अस्थिरता और संघर्षों पर गहरी चिंता जताई। साथ ही उन्होंने उन हमलों की आलोचना की, जिनमें IAEA के निरीक्षण के अधीन शांतिपूर्ण परमाणु सुविधाओं और नागरिक ढांचे को निशाना बनाया गया। घोषणापत्र में कहा गया कि “परमाणु सुरक्षा को हर हाल में प्राथमिकता दी जानी चाहिए।”

ब्रिक्स देशों ने यूक्रेन संघर्ष पर अपने पूर्व रुख को दोहराया और उम्मीद जताई कि अंतरराष्ट्रीय प्रयासों से एक स्थायी और शांतिपूर्ण समाधान निकलेगा। यह बयान ऐसे समय आया है जब दुनिया में युद्ध और सैन्य टकराव की आशंका लगातार बढ़ रही है।

हालांकि संयुक्त राज्य अमेरिका का नाम सीधे तौर पर नहीं लिया गया, लेकिन ब्रिक्स ने उन व्यापार टैरिफ नीतियों की आलोचना की, जिनसे वैश्विक व्यापार प्रणाली पर बुरा असर पड़ रहा है। नेताओं ने इसे विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों के खिलाफ बताया।

ब्राजील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा ने नाटो द्वारा सैन्य खर्च बढ़ाने के फैसले की आलोचना करते हुए कहा, “दुनिया को युद्ध में नहीं, बल्कि विकास में निवेश की ज़रूरत है।”

सम्मेलन के दौरान गाजा में बिगड़ती स्थिति पर भी चिंता जाहिर की गई। नेताओं ने संघर्ष के सभी पक्षों से संयम बरतने और मानवीय सहायता को प्राथमिकता देने की अपील की।

इस बार के सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग पहली बार फिजिकली उपस्थित नहीं हुए, जबकि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से भाग लिया। पुतिन के खिलाफ जारी अंतरराष्ट्रीय गिरफ्तारी वारंट को इसकी वजह माना जा रहा है।

इन प्रमुख नेताओं की अनुपस्थिति ने ब्रिक्स की एकजुटता और नेतृत्व क्षमता को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।

इस सम्मेलन में ईरान, मिस्र, यूएई, इथियोपिया और इंडोनेशिया जैसे देशों के ब्रिक्स में औपचारिक रूप से शामिल होने की पुष्टि की गई। इसके अलावा बेलारूस, क्यूबा और वियतनाम जैसे 10 रणनीतिक साझेदारों की उपस्थिति ने संगठन के विस्तार को नई दिशा दी है।

लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि सदस्यता बढ़ने के बावजूद ब्रिक्स खुद को एक प्रभावशाली वैश्विक मंच के रूप में नहीं उभार पा रहा है। एक साझा रणनीति और स्थायी नेतृत्व की कमी इसकी बड़ी वजह मानी जा रही है।

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