KNEWS DESK- बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को हाल ही में अदालत की अवमानना के एक मामले में छह महीने की जेल की सजा सुनाई गई है। यह फैसला बुधवार को न्यायमूर्ति मोहम्मद गुलाम मुर्तुजा मजूमदार की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बैंच ने दिया। बैंच के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति मोहम्मद शफीउल आलम महमूद और न्यायाधीश मोहम्मद मोहितुल हक इनाम चौधरी शामिल हैं। इसी मामले में गोबिंदगंज, गैबांधा के शकील अकंद बुलबुल उर्फ मोहम्मद शकील आलम को भी दो महीने की सजा मिली है।
शेख हसीना पर भ्रष्टाचार, मानवाधिकार उल्लंघन और हत्या जैसे गंभीर आरोप बांग्लादेश में कई मुकदमों में चल रहे हैं। उनके विरोधी दलों ने तो यहां तक मांग की है कि भारत उन्हें वापस भेजे और फांसी की सजा दिलवाई जाए। इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने जुलाई के विद्रोह के दौरान मानवता के खिलाफ अपराध के एक मामले में शेख हसीना और तीन अन्य के खिलाफ आरोप तय करने की सुनवाई शुरू कर दी है।
शेख हसीना फिलहाल भारत में हैं और बांग्लादेश की यूनुस सरकार कई बार भारत से उनकी प्रत्यर्पण की मांग कर चुकी है, लेकिन भारत की सरकार ने इस पर कोई सकारात्मक जवाब नहीं दिया है। उल्लेखनीय है कि शेख हसीना के कार्यकाल में भारत और बांग्लादेश के बीच संबंध बहुत अच्छे रहे, लेकिन बाद में इन रिश्तों में कुछ दूरी आई है।
शेख हसीना की सजा से बांग्लादेश की राजनीतिक परिस्थितियां और तनावपूर्ण हो गई हैं। यह मामला दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों पर भी असर डाल सकता है। बांग्लादेश की आंतरिक राजनीति में शेख हसीना के समर्थक और विरोधी दोनों ही इस फैसले को लेकर अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं।
ये भी पढ़ें- स्कूलों के विलयीकरण और बंद करने के फैसले पर तेज हुई राजनीति, अब मायावती ने साधा सीएम योगी पर निशाना