पद्मश्री कार्तिक महाराज पर लगा यौन शोषण का आरोप, महिला बोली- गर्भपात भी कराया

डिजिटल डेस्क- पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित कार्तिक महाराज मुसीबतों में फंसते नजर आ रहे हैं। कार्तिक महाराज पर एक शिक्षिका ने यौन शोषण का आरोप लगाकर लिखित शिकायत दी है। लिखित शिकायत में  एक शिक्षिका ने यौन संबंध बनाने, जबरन गर्भपात कराने और धोखाधड़ी का आरोप लगाया है. घटना के प्रकाश में आते ही राज्य भर में इसे लेकर हलचल तेज हो गयी है। महिला शिक्षिका ने आरोप लगाया कि कार्तिक महाराज ने मुर्शिदाबाद के एक आश्रम में उसके साथ रेप किया है।

2012 का है मामला

पीड़ित महिला का दावा है कि यह घटना साल 2012 की है। उस समय वह पहली बार कार्तिक महाराज से मिली थी, जिन्होंने उसे एक शिक्षक की नौकरी का प्रस्ताव दिया था। महिला ने यह नौकरी स्वीकार कर ली, जिसके बाद उसे स्कूल के अंदर ही पांचवीं मंजिल पर एक कमरा दिया गया। महिला के आरोपों के मुताबिक, कार्तिक महाराज उसे अक्सर अपने कार्यालय में बुलाते थे और कई बार उसका यौन उत्पीड़न और रेप किया। महिला ने यह भी बताया कि साधु ने उसे हर महीने पैसे भेजने का वादा किया था। शिकायतकर्ता ने आगे बताया कि 2013 में गर्भवती होने पर, आरोपी ने कुछ स्कूल कर्मचारियों के साथ मिलकर उसे गर्भपात के लिए बेरहामपुर के एक निजी नर्सिंग सेंटर ले गया। महिला का आरोप है कि जब उसने इसका विरोध किया तो उसे धमकी दी गई। दो स्कूल कर्मचारियों की मौजूदगी में, महाराज ने नर्सिंग होम में एक डॉक्टर से बात की और उसे गर्भपात कराने पर मजबूर किया। पीड़िता ने यह भी कहा कि महाराज ने मुर्शिदाबाद में आश्रम की कई शाखाओं में उसका रेप किया और उसे नौकरी देने का वादा कर इंतज़ार करवाते रहे, जिससे वह मानसिक रूप से टूट गई।

कौन है कार्तिक महाराज?

कार्तिक महाराज को स्वामी प्रदीप्तानंद महाराज के नाम से भी जाना जाता है। कार्तिक महाराज अपनी किशोरावस्था में ही भारत सेवाश्रम संघ से जुड़ गए थे। यहां से ही उन्होंने सेवा कार्यों की शुरूआत की और 20 साल की उम्र में संघ नेतृत्व की जिम्मेदारी संभाल ली। उन्हें बेलदंगा, मुर्शिदाबाद भेजा गया, जहां उन्होंने एक आश्रम की स्थापना की।

सीएम ममता बनर्जी से सीधे टकराने के बाद आये थे चर्चा में

कार्तिक महाराज 2024 के लोकसभा चुनावो के दौरान तब चर्चा में आए थे जब उन्हें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की नाराजगी का सामना करना पड़ा था। बता दें कि ममता बनर्जी के साथ उनका सार्वजनिक विवाद हुआ था। इस दौरान ममता ने उनपर तृणमूल के एजेंटों को अपने आश्रम में बैठने की अनुमति नहीं देने के लिए ‘सीधी राजनीति’ करने का आरोप लगाया था।