तेजस्वी यादव द्वारा चुनाव आयोग को कठघरे में खड़ा करने के बाद एक्स पर छाया चुनाव आयोग, पोस्ट कर चुनाव आयोग से सवाल पूछ रहे लोग

शिव शंकर सविता- बिहार विधानसभा चुनाव से पहले बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग पर सवाल उठाते हुए फर्जी वोटर लिस्ट तैयार करने और भाजपा के लिए काम करने की बात कहत हुए कठघरे में खड़ा किया। तेजस्वी यादव के इस आरोप के बाद सोशल मीडिया साइट एक्स पर चुनाव आयोग वार छिड़ गया है। सोशल मीडिया प्लेट्फार्म एक्स पर लोग चुनाव आयोग को टैग करके सवाल पूछ रहे हैं।

क्या कहा था तेजस्वी यादव ने?

सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर पूर्व मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने लिखा कि बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले निर्वाचन आयोग द्वारा अचानक विशेष गहन पुनरीक्षण की घोषणा अत्यंत ही संदेहास्पद और चिंताजनक है। निर्वाचन आयोग ने आदेश दिया है कि सभी वर्तमान मतदाता सूची को रद्द करते हुए हर नागरिक को अपने वोटर लिस्ट में नाम जोड़ने के लिए नए सिरे से आवेदन देना होगा, भले ही उनका नाम पहले से ही सूची में क्यों न हो। बीजेपी-RSS और NDA संविधान व लोकतंत्र को कमजोर क्यों करना चाह रही है? हमने बीजेपी की कठपुतली चुनाव आयोग से कुछ सवाल पूछे है। जरुर पढ़िए एवं लोगों को भी बताइए।

लोग पूछ रहे चुनाव आयोग से सवाल

1- एक्स यूजर @_YogendraYadav ने चुनाव आयोग को टैग करते हुए लिखा कि क्या बिहार में लोकतंत्र को चुपचाप नष्ट करने की तैयारी है? 24 जून को चुनाव आयोग ने “विशेष गहन पुनरीक्षण” का जो आदेश जारी किया है, वह पहली नज़र में एक तकनीकी प्रक्रिया दिखती है, लेकिन असल में यह एक चुनावी जनगणना है, जो करोड़ों नागरिकों को मताधिकार से वंचित कर सकती है। जिस किसी का नाम 2003 की सूची में नहीं है, उसे अपनी नागरिकता साबित करनी होगी। जिनके पास न जन्म प्रमाणपत्र है, न मैट्रिक का प्रमाण, न जाति प्रमाण — वे वोटर लिस्ट से बाहर हो सकते हैं। हमने गणना की है: 4.76 करोड़ बिहारवासी इस प्रक्रिया की चपेट में आ सकते हैं — सिर्फ इसलिए नहीं कि वे अवैध प्रवासी हैं, बल्कि इसलिए कि सरकार कभी उनके परिवार को दस्तावेज़ ही नहीं दे सकी।

2- सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स की यूजर @priyanka2bharti ने चुनाव आयोग से सवाल पूछा कि चुनाव आयोग बिहार में दलित, पिछड़ों, अतिपिछड़ों का वोटिंग अधिकार खत्म करने के खेल में जुट गई है! भाजपा और चुनाव आयोग के गंदे खेल इस वीडियो में समझिए तीन मुख्य दस्तावेज मांगे जा रहे है जन्म प्रमाण पत्र जाति प्रमाण पत्र दसवीं प्रमाण पत्र भारत सरकार के NFHS-3 के अनुसार 2001-2005 में जन्में बच्चों में केवल 2.8% के पास जन्म प्रमाण पत्र था! अब ये मां बाप का जन्म प्रमाण पत्र कहां से लाएं? मैट्रिक प्रमाण पत्र की बात करें तो NFHS-2 के अनुसार आज 40-60 वर्ष के पुरुषों में से केवल 10 से 13% ने हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी की है। जाति प्रमाण पत्र की बात करें तो India Human Development Survey (2011-12) के अनुसार 20% SC और 25% OBC के पास जाति प्रमाण पत्र है। अनाथ लोगों का तो कोई सुध ही नहीं लिया जा रहा है, ये अपने माता पिता का सर्टिफिकेट कहा से लाएंगे? बिहार में 4 करोड़ से ज्यादा वोटर पलायन करके दूसरे राज्यों में है। उनका क्या होगा? 73% क्षेत्र बाढ़ग्रस्त है, ऐसे में उनके घर बह जाते है वो कागज कितना सहेज पाएंगे? 88% बिहारी के पास आधार कार्ड है मगर उसको दस्तावेज नहीं मान रहे तो फिर देश में आधार कार्ड का धंधा क्यों चल रहा है?