बरेलीः माँ की मौत से पहले ही बेटे ने बनवाया फर्जी डेथ सर्टिफिकेट, नौकरी पाने के लिए रचा खेल

डिजिटल डेस्क- इस समय देश मे बेरोजगारी चरम पर है। जहां प्रतियोगी छात्र दिन-रात मेहनत करके नौकरी हासिल कर रहे हैं तो कहीं घूस देकर नौकरी पाई जा रही है परन्तु बरेली में नौकरी पाने का एक अलग तरीका सामने आया है, जहां युवक ने मृतक आश्रित के तहत पुलिस में नौकरी पाने के लिए फर्जीवाड़ा कर दिया। युवक ने अपनी माँ की मौत से पहले ही माँ का मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाकर उसे विभाग में लगा दिया और मृतक आश्रित कोटे के तहत नौकरी के लिए आवेदन भी कर दिया। दरअसल मामला बरेली जिले का है। यहां रहने वाली चंद्रा देवी पीएसी में कुक के पद पर तैनात थी और 28 फरवरी को सेवानिवृत्त होने वाली थी। इसी बीच 27 फरवरी को चंद्रा देवी की तबियत अचानक खराब हो गई। जिसपर उसके बेटे प्रहलाद सिंह मेहर ने पीएसी कर्मचारियों की मदद से उसे अस्पताल में भर्ती करवाया, जहां से उसे दूसरे अस्पताल भेज दिया गया। अगले दिन चंद्रा देवी की हालत में सुधार होने पर डॉक्टरों ने उसे डिस्चार्ज कर दिया। लेकिन बेटे ने नौकरी के चलते सेवानिवृत्ति से पहले ही माँ को मृत घोषित करते हुए मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाकर नौकरी के लिए आवेदन कर दिया।

क्या है पूरा मामला

आठवीं वाहिनी पीएसी के शिविर पाल रामनाथ राणा ने थाना कैंट में तहरीर देकर आरोप लगाया कि चंद्रा देवी कुक के पद पर तैनात थीं। चंद्रा देवी की तबियत 27 फरवरी को सुबह 7.39 बजे अचानक खराब हो गई। पीएसी के कर्मचारियों की मदद से उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां चंद्रा देवी के बेटे प्रहलाद मेहर को हायर सेंटर ले जाने की सलाह दी गई।

तब प्रहलाद सिंह मेहर ने पीएसी कर्मियों की मदद सें चंद्रा देवी को एसआरएमएस में भर्ती कराया। वहां भी हालत सही नहीं हुई तो लखनऊ के एसजीपीजीआई में भर्ती कराया गया। प्रहलाद सिंह मेहर के कहने पर 28 फरवरी की शाम 5.33 बजे चंद्रा देवी को एसजीपीजीआई से जीवित अवस्था में डिस्चार्ज किया गया। उस वक्त उनके साथ सी दल के दलनायक चिराशु कुमार मौजूद थे।

प्रमाणपत्र में मृत्यु के समय में है काफी अंतर

डिस्चार्ज होने के बाद चंद्रा देवी की मौत हो गई। उनकी मौत के चंद्रा देवी के बेटे प्रहलाद सिंह मेहर ने आठवीं वाहिनी पीएसी में जो मृत्यु प्रमाण पत्र जमा किया है। उसमें काफी अंतर है। 28 फरवरी को शाम 5.33 बजे वह जीवित अवस्था में डिस्चार्ज हुई थीं, जबकि मृत्यु प्रमाण पत्र में उनकी मृत्यु का समय 28 फरवरी को सुबह 5.23 बजे का दर्शाया गया है।

मौत की फैलाई झूठी कहानी

सूत्रों के मुताबिक, चंद्रा देवी जल्द ही सेवानिवृत्त होने वाली थीं। कुछ दिन पहले ही वह बीमार हो गई थीं। परिवार वालों ने तब यह बात फैलाई कि चंद्रा देवी जिस गाय को पालती थीं, वह चरने के लिए गई और वापस नही लौटी. गाय की चोरी से दुखी होकर उन्होंने खाना-पीना छोड़ दिया और उनकी तबीयत बिगड़ गई। इसके बाद उन्हें पहले घर पर ही इलाज दिया गया और फिर अस्पताल ले जाया गया। हालांकि, यह भी सामने आया है कि जब चंद्रा देवी की हालत नाजुक थी, तब उन्हें अचानक पीजीआई से डिस्चार्ज क्यों कराया गया, इसकी कोई स्पष्ट वजह प्रहलाद ने नहीं बताई।