क्या है Axiom-4 मिशन का मकसद? कितने दिन अंतरिक्ष में रहेंगे शुभांशु शुक्ला, जानें सब…

KNEWS DESK- भारत के लिए यह दिन ऐतिहासिक बन गया जब भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने तीन अन्य अंतरिक्ष यात्रियों के साथ मिलकर Axiom-4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ओर उड़ान भरी। अमेरिका की नासा और SpaceX के संयुक्त मिशन के तहत, चारों अंतरिक्षयात्रियों ने बुधवार दोपहर 12:01 बजे (IST) नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से उड़ान भरी।

मिशन की प्रमुख बातें:

  • Axiom-4 नासा और स्पेसएक्स का चौथा प्राइवेट अंतरिक्ष मिशन है।

  • इसमें चार देशों – भारत, अमेरिका, पोलैंड और हंगरी – के अंतरिक्ष यात्री शामिल हैं।

  • स्पेसएक्स का फाल्कन-9 रॉकेट और ड्रैगन कैप्सूल के जरिए अंतरिक्ष में भेजा गया यह क्रू 14 दिन अंतरिक्ष में बिताएगा।

  • अनुमान है कि स्पेसक्राफ्ट गुरुवार शाम 4:30 बजे (IST) अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर डॉक करेगा।

शुभांशु शुक्ला भारतीय वायुसेना में फाइटर पायलट रह चुके हैं और उन्हें 2019 में गगनयान मिशन के लिए ISRO द्वारा चुना गया था। उन्होंने रूस और बेंगलुरु में गहन अंतरिक्ष प्रशिक्षण प्राप्त किया है। अब Axiom-4 मिशन के ज़रिए उन्होंने भारत की ओर से अंतरिक्ष में क़दम रखा है।

मिशन क्यों है भारत के लिए खास?

  1. भारत के लिए अंतरिक्ष में बड़ी वापसी — लंबे अंतराल के बाद कोई भारतीय अंतरिक्ष यात्री फिर से स्पेस में गया है।

  2. गगनयान मिशन की तैयारी — यह मिशन ISRO के 2027 में प्रस्तावित गगनयान मिशन के लिए बेहद महत्वपूर्ण अनुभव देगा।

  3. वैज्ञानिक प्रयोग — शुभांशु माइक्रोग्रैविटी में विविध वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे, जो पृथ्वी पर असंभव हैं।

  4. स्पेस में तकनीकी परीक्षण — नई तकनीकों का परीक्षण किया जाएगा, जिससे भविष्य में कमर्शियल स्पेस स्टेशन की स्थापना की दिशा में प्रगति होगी।

  5. अंतरराष्ट्रीय सहयोग — यह मिशन विभिन्न देशों के अंतरिक्ष यात्रियों को एक मंच देता है, जो वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देगा।

शुभांशु अपने साथ अंतरिक्ष में एक विशेष जीव भी ले गए हैं — टार्डिग्रेड्स (Tardigrades), जिन्हें ‘जल भालू’ या ‘चैंपियन सर्वाइवर’ कहा जाता है। ये सूक्ष्म जलीय जीव अपने अल्ट्रा-रेजिस्टेंस के लिए जाने जाते हैं। भीषण गर्मी, ठंड, रेडिएशन, और यहां तक कि वैक्यूम में भी ये जीव जिंदा रह सकते हैं। टार्डिग्रेड्स हाइबरनेशन में 100 साल तक जीवित रह सकते हैं। शुभांशु इन पर माइक्रोग्रैविटी में जीवविज्ञान से जुड़े प्रयोग करेंगे।

शुभांशु और उनकी टीम ने फाल्कन-9 रॉकेट में बैठकर उड़ान भरी।, स्पेसक्राफ्ट में है स्पेसएक्स का आधुनिक ड्रैगन कैप्सूल।, कुल 28 से 29 घंटे की यात्रा के बाद यह स्पेसक्राफ्ट ISS से डॉक करेगा।, अंतरिक्ष यात्री 14 दिन स्टेशन पर रहकर विज्ञान, टेक्नोलॉजी और मेडिकल रिसर्च में हिस्सा लेंगे।

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