KNEWS DESK- उत्तर प्रदेश में तबादलों को लेकर भ्रष्टाचार के आरोपों पर सियासत गर्म होती जा रही है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमो मायावती ने शुक्रवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर बयान जारी कर राज्य सरकार से मांग की है कि विभिन्न विभागों में तबादलों में हो रहे भ्रष्टाचार की जांच के लिए विजिलेंस और एसआईटी (विशेष जांच टीम) का गठन किया जाए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए।
मायावती ने अपने बयान में कहा कि उत्तर प्रदेश में, देश के कई अन्य राज्यों की तरह, सरकारी कार्यों और विभागीय तबादलों में भ्रष्टाचार की शिकायतें आम हो चुकी हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि इन तबादलों में “हिस्सेदारी” और “पैसे के लेन-देन” की बातें लगातार चर्चा में रहती हैं।
बसपा प्रमुख ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इन खबरों का कड़ा संज्ञान लेना चाहिए और भ्रष्टाचार निरोधक संस्थाओं को सक्रिय करते हुए समयबद्ध एसआईटी जांच करानी चाहिए ताकि पूरे सिस्टम में आवश्यक सुधार हो सके। उन्होंने यह भी कहा कि अफसरों की द्वेषपूर्ण और मनमानीपूर्ण कार्यशैली पर भी सख्त कार्रवाई जरूरी है। मायावती का यह बयान ऐसे समय आया है जब उत्तर प्रदेश के स्टांप एवं पंजीयन विभाग में तबादलों में भारी गड़बड़ी का मामला सामने आया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए विभाग के आईजी स्टांप समीर वर्मा को उनके पद से हटा दिया है और उन्हें “प्रतीक्षारत” रखा गया है।
मुख्यमंत्री ने वर्मा द्वारा किए गए सभी 210 तबादलों को भी तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया है। यह कार्रवाई स्टांप एवं पंजीयन राज्यमंत्री रवींद्र जायसवाल की शिकायत के आधार पर की गई, जिन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मामले में भ्रष्टाचार की गंभीर आशंका जताई थी। मुख्यमंत्री ने पूरे मामले की जांच के भी आदेश दे दिए हैं। इस घटनाक्रम के बाद विपक्ष राज्य सरकार पर दबाव बढ़ाने में जुट गया है। मायावती के अलावा अन्य दलों के नेताओं ने भी सरकार की पारदर्शिता और प्रशासनिक जवाबदेही पर सवाल खड़े किए हैं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि आगामी चुनावों से पहले इस प्रकार के भ्रष्टाचार के मामले सरकार की छवि को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
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