पंचायत चुनाव पर सवाल, आरक्षण पर बवाल !

 उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव होने जा रहे है. जिसमे आरक्षण को लेकर प्रदेश के ज्यादातर जिलों से तीन हज़ार की संख्या मे आपत्तियां दर्ज हुई हैं. वही मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने आरक्षण को लेकर सवाल खड़े कर दिये हैं। जबकि 18 जून तक संशोधित आरक्षण सूची जारी होनी है. जिस पर संभावित प्रत्याशी तो आपत्ति जता ही रहे हैं. विपक्षी दल कांग्रेस इसे खामियों वाला आरक्षण करार दे रही है। कांग्रेस का कहना है कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए 2011 जनगणना को आधार बनाया गया है .जिसके कारण पूर्व के आरक्षण में बदलाव नहीं होना चाहिए था. इस आरक्षण का असर प्रदेश की तमाम पंचायतों पर पड़ रहा है। विकासनगर विकासखंड की पंचायतों का जिक्र करते हुए कहा यहां मनमाने ढंग से एसटी की सीटों को बढ़ाया गया है.एससी,ओबीसी की सीटों को कम कर दिया गया है. विपक्ष ने आरक्षण की स्थिति को लेकर सरकार को घेर लिया है. विपक्ष का मानना है कि यह जनता के अधिकारों का हनन हो रहा है। उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में लेटलतीफी के चलते पहले से ही जनता गुस्से में हे  जिस पर अभी भी सरकार चुनाव करने में गंभीर नजर नहीं आ रही है.
 उत्तराखंड में हरिद्वार जिले को छोड़कर 12 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव होने हैं। इन चुनावों के लिए आरक्षण प्रस्तावों के प्रकाशन के बाद विभाग को तीन हजार से अधिक आपत्तियां प्राप्त हुई हैं। ऐसे में अब संबंधित जिलों के जिलाधिकारी इन आपत्तियों का निस्तारण कर रहे है। इसके बाद 18 जून को आरक्षण प्रस्तावों का अंतिम प्रकाशन किया जाएगा। कई आपत्तिकर्ताओं ने शिकायत की है कि पिछली बार भी उनकी ग्राम पंचायत महिला के लिए आरक्षित थी. और इस बार भी वही आरक्षण बरकरार रखा गया है। कुछ लोगों का कहना है कि एससी-एसटी के लिए आरक्षित सीटों को सामान्य किया जाए. जबकि कुछ अन्य ने एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षण की मांग की है। जब कि विभाग का कहना है कि पंचायत क्षेत्रों का आरक्षण शासनादेशों के अनुसार निर्धारित किया गया है. और उसी के आधार पर प्रस्ताव तैयार किए गए हैं। आरक्षण प्रस्तावों पर सबसे अधिक आपत्तियां ऊधमसिंह नगर जिले की हैं। जहां लगभग 800 से अधिक आवेदन आए हैं। इसके अलावा अन्य जिलों में स्थिति इस प्रकार है।

देहरादून- 302
अल्मोड़ा- 294
पिथौरागढ़- 277
चंपावत- 337
पौड़ी- 354
चमोली- 213
रुद्रप्रयाग- 90
उत्तरकाशी- 383
टिहरी- लगभग 297

इन सभी आपत्तियों के आधार पर अंतिम आरक्षण सूची तैयार की जाएगी. जिसके बाद चुनाव की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा।

वही उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के आरक्षण को लेकर आपत्तियां दर्ज हुई हैं. जिस पर 18 जून तक संशोधित आरक्षण सूची जारी होनी है. वही विपक्षी दल कांग्रेस इसे खामियों वाला आरक्षण करार दे रही है. पूर्व कैबिनेट मंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता नवप्रभात ने आरक्षण पर सवाल खड़े कर दिए हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नवप्रभात का कहना है कि  त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए 2011 जनगणना को आधार बनाया गया है .जिसके कारण पूर्व के आरक्षण में बदलाव नहीं होना चाहिए था. इस आरक्षण का असर प्रदेश की तमाम पंचायतों पर पड़ रहा है। कांग्रेस के पूर्व कैबिनेट मंत्री नवप्रभात ने विकास नगर विकासखंड की पंचायतों का जिक्र करते हुए कहा यहां मनमाने ढंग से एसटी की सीटों को बढ़ाया गया है. एससी,ओबीसी की सीटों को कम कर दिया गया है. कांग्रेस के पूर्व कैबिनेट मंत्री नवप्रभात ने आरक्षण की स्थिति को लेकर सरकार को घेर लिया है. उनका कहना है कि यह जनता के अधिकारों का हनन है।

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर शासन के दिशा निर्देश पर प्रशासन और राज्य निर्वाचन आयोग ने अपनी तैयारियों को पूरा कर लिया हैं। आरक्षण की आपत्तियों का निपटारा आज शाम तक होते ही चुनाव प्रक्रिया आगे बढ़ेगी और कार्यक्रम जारी होते ही चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी भी अब चुनावी समर में कूदने को तैयार बैठे हैं। वही विपक्षी दलों का मानना है की भले ही सरकार जानबूझ कर पंचायत राज व्यवस्था को कमजोर करने पर तुली है, क्योंकि पहले निकाय चुनाव देर से कराए और अब पंचायत चुनाव को काफी समय तक लटकाया लेकिन हम पंचायत चुनाव के लिए तैयार हैं अब 18 जून को आरक्षण प्रस्तावों का अंतिम प्रकाशन किया जाएगा। हरिद्वार जिले को छोड़कर 12 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव होने हैं। इन चुनावों के लिए आरक्षण प्रस्तावों के प्रकाशन के बाद विभाग को तीन हजार से अधिक आपत्तियां प्राप्त हो चुकी हैं। अब देखना होगा आने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में चुनावी विरोध के चलते कौन सी राजनीतिक पार्टी जनता का दिल जीत पायेगी,