KNEWS DESK- भारत की आगामी जनगणना 2027 और प्रस्तावित जाति आधारित जनगणना देश की सामाजिक संरचना और राजनीतिक दिशा को गहराई से प्रभावित करने जा रही है। यह केवल एक आंकड़ों की प्रक्रिया नहीं, बल्कि नीतियों, आरक्षण व्यवस्था, महिला सशक्तिकरण और लोकतांत्रिक पुनर्संरचना की नींव है।
जनगणना 2027: क्यों है यह ऐतिहासिक?
2011 के बाद पहली बार होने वाली यह जनगणना भारत की जनसंख्या, शहरीकरण, प्रवासन, शिक्षा, आर्थिक स्थिति, आवास, और सामाजिक संरचना की ताजा तस्वीर पेश करेगी। जाति आधारित आंकड़े, विशेषकर OBC और अन्य सामाजिक वर्गों की वास्तविक स्थिति को उजागर करेंगे। इन आंकड़ों के आधार पर आरक्षण नीति, कल्याणकारी योजनाएं और संसाधनों का वितरण नए स्वरूप में तय किया जा सकेगा।
परिसीमन का अर्थ है लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों की सीमाओं और संख्या का नए सिरे से निर्धारण। 2001 में परिसीमन पर लगी रोक 2026 में हटेगी, जिसके बाद 2027 की जनगणना इसका आधार बनेगी। तेजी से बढ़ती जनसंख्या वाले राज्य जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान को अधिक संसदीय प्रतिनिधित्व मिल सकता है। इसके साथ ही दक्षिण और उत्तर-पूर्वी राज्यों को राजनीतिक संतुलन बनाए रखने के लिए विशेष संवैधानिक प्रावधानों की आवश्यकता हो सकती है।
नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023 के तहत लोकसभा और विधानसभाओं में 33% सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। यह आरक्षण जनगणना और परिसीमन के बाद ही लागू होगा। अनुमान है कि 2028 में परिसीमन प्रक्रिया पूरी होने के बाद, 2029 के आम चुनाव में महिला आरक्षण लागू हो सकता है।
वर्तमान में लोकसभा में 543 सीटें हैं, जो 1971 की जनगणना के आधार पर तय की गई थीं। जनसंख्या में भारी वृद्धि के बावजूद सीटों की संख्या अपरिवर्तित रही है, जिससे प्रति सांसद जनसंख्या का अनुपात असमान हो गया है। 2027 की जनगणना और परिसीमन के बाद, सीटों की संख्या 650 या उससे अधिक हो सकती है।
OBC समुदाय की वास्तविक संख्या सामने आने से आरक्षण सीमा (50%) को लेकर नई बहस खड़ी हो सकती है। प्राइवेट सेक्टर में भी आरक्षण की मांग तेज हो सकती है। दक्षिण भारतीय राज्य, जिन्होंने जनसंख्या नियंत्रण में सफलता पाई है, कम प्रतिनिधित्व को लेकर असंतोष जता सकते हैं। केंद्र सरकार ने हालांकि आश्वस्त किया है कि समानुपातिक और संतुलित परिसीमन किया जाएगा।
इस बार की जनगणना में तकनीकी प्रयोग एक बड़ी पहल होगी-
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डिजिटल जनगणना एप्लिकेशन के जरिए गणना कार्य किया जाएगा।
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स्व-गणना की सुविधा भी नागरिकों को दी जाएगी – वे ऐप या पोर्टल के जरिए अपनी जानकारी स्वयं भर सकेंगे।
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कर्मचारियों को डिजिटल डिवाइस और प्रशिक्षण उपलब्ध कराए जाएंगे।
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जाति और उप-जाति से जुड़े कॉलम पहली बार डिजिटल प्रश्नावली में जोड़े जाएंगे।
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डेटा सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी – सुरक्षित सर्वर, एन्क्रिप्शन और कड़े गोपनीयता नियम लागू होंगे।
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