डिजिटल डेस्क- गुरूवार को अहमदाबाद में लंदन के लिए उड़ान भर चुके एअर इंडिया का प्लेन दुर्घटना का शिकार हो गया था। प्लेन में सवार 242 लोगों में से 241 की दर्दनाक मौत हो गई थी। हालांकि हादसे के कारण का पता नहीं चल सका था। हादसे के बाद जांचदल और डीजीसीए के अधिकारियों ने प्लेन के ब्लैक बॉक्स को ढूंढना शुरू कर दिया था। इसी क्रम में हादसे के 24 घंटे बाद जांचदल को प्लेन के ब्लैक बॉक्स मिल गया है, जिसके बाद हादसा होने के सही कारणों का पता लग सकेगा।
बीजे मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल की छत पर मिला ब्लैक बॉक्स
शुक्रवार शाम करीब 4 बजे क्रैश साइट से हादसे की शिकार हुई एयर इंडिया के प्लेन की ब्लैक बॉक्स मिल गया। यह क्रैश साइट पर मौजूद बीजे मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल की छत पर पड़ा मिला। इस ब्लैक बॉक्स से हादसे की जांच को रफ्तार मिलेगी और हादसे की वजह भी सामने आएगी।
क्या होता है ब्लैक बॉक्स
ब्लैक बॉक्स में फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR) होता है, जो विमान की ऊंचाई, रफ्तार, इंजन की परफॉर्मेंस और कंट्रोल इनपुट जैसे तकनीकि पैरामीटर्स से डील करता है। वहीं कॉकपिट वॉइस रिकॉर्डर (CVR) में पायलट के बीच बातचीत से लेकर रेडियो ट्रांसमिशन और मैकेनिकल साउंड जैसे कॉकपिड ऑडियो रिकॉर्ड हो जाते हैं।

फारेंसिक लैब में होगा डिकोड
ब्लैक बॉक्स मिलने के बाद इसे फोरेंसिक लैब में भेजा जाएगा। ब्यूरो ऑफ एअरक्राफ्ट एक्सीडेंट आर्चीव (BAAA) सबसे पहले ब्लैक बॉक्स की जांच करेगा। अगर ब्लैक बॉक्स कहीं से डैमेज होगा, तो इसे रिपेयर किया जाएगा। इसके बाद ब्लैक बॉक्स से ट्रैफिक कंट्रोल रिकॉर्ड समेत फ्लाइट का पूरा डेटा निकाला जाएगा। ब्लैक बॉक्स को डिकोड करने के लिए 3डी कंप्यूटर की मदद ली जाती है। इस प्रक्रिया में कुछ हफ्तों या कुछ महीनों का भी समय लग सकता है।
प्लेन के तबाह होने के बाद भी बच जाता है ब्लैक बॉक्स
FDR आमतौर पर प्लेन के पिछले हिस्से में लगाया जाता है, जिसे ऐसा हिस्सा माना जाता है जिससे दुर्घटना में कम से कम नुकसान होने की संभावना होती है। जब कोई प्लेन पानी में क्रैश होता है, तो ब्लैक बॉक्स के अंदर लगे बीकन सक्रिय हो जाते हैं और 14,000 फीट की गहराई से सिग्नल भेज सकते हैं। यदि समुद्र से बरामद किया जाता है, तो इसपर लगे नमक को हटाने के लिए ब्लैक बॉक्स को पहले उपचारित किया जाता है और फिर कई दिनों तक अंदर सुखाया जाता है। इलेक्ट्रॉनिक्स और मेमोरी की जांच के बाद, आवश्यक मरम्मत की जाती है, फ्लाइट डेटा को फिर से रिकवर करने के लिए चिप्स की जांच की जाती है।