11 साल में ब्रांड मोदी ने कैसे बदली भारतीय राजनीति की दिशा? ये हैं बड़े फैसले…

KNEWS DESK-  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने अपने तीसरे कार्यकाल का एक साल पूरा कर लिया है और इसी के साथ मोदी ने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में 11 वर्षों का अभूतपूर्व राजनीतिक सफर तय किया है। यह यात्रा सिर्फ एक राजनेता की नहीं, बल्कि भारतीय राजनीति में “ब्रांड मोदी” के उभार और उसके प्रभाव की कहानी भी है।

2014 में जिस “मोदी लहर” ने राष्ट्रीय राजनीति की तस्वीर बदल दी थी, वह आज एक संगठित और धारदार राजनीतिक रणनीति में बदल चुकी है। सोशल मीडिया से लेकर वैश्विक मंचों तक, नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और उनकी छवि ने बीजेपी को चुनावी मशीन में तब्दील कर दिया है।

2014 में मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने पूर्ण बहुमत हासिल कर केंद्र की सत्ता में वापसी की। उस वक्त मोदी सिर्फ एक उम्मीदवार नहीं, बल्कि एक उम्मीद बनकर उभरे। बीजेपी ने अपना चुनावी नैरेटिव पूरी तरह नरेंद्र मोदी के नाम और चेहरे पर केंद्रित किया, और यही ट्रेंड 2019 और 2024 के चुनावों तक चला। मोदी की लोकप्रियता का आलम यह रहा कि पार्टी के पोस्टर, नारे, सोशल मीडिया प्रचार—हर जगह सिर्फ “मोदी ही मोदी” छाए रहे। नारे जैसे “अबकी बार मोदी सरकार”, “सबका साथ, सबका विकास”, और “देश का चौकीदार” जनता की जुबान पर चढ़ गए।

मोदी सरकार की सबसे बड़ी खासियत यह रही कि हर नीति या कदम को एक बड़ी कहानी, एक भावनात्मक मुद्दा और सियासी हथियार में तब्दील किया गया। चाहे वो नोटबंदी हो, जीएसटी, सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक या फिर हाल ही का ऑपरेशन सिंदूर—इन सभी का उपयोग मोदी सरकार ने अपनी ताकतवर छवि को और चमकाने के लिए किया।

ऑपरेशन सिंदूर, जो पहलगाम आतंकी हमले के बाद शुरू हुआ, एक सुनियोजित सैन्य प्रतिक्रिया थी, जिसने प्रधानमंत्री की छवि को “निर्णायक नेता” के तौर पर और मजबूत किया।

प्रधानमंत्री मोदी ने सत्ता में आने के बाद “विकास” को अपने शासन का मुख्य एजेंडा बनाया, लेकिन उनका असली गेमचेंजर रहा – गरीबों पर केंद्रित योजनाओं की श्रृंखला। जनधन योजना, उज्ज्वला योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, आयुष्मान भारत और मुफ्त राशन जैसे कार्यक्रमों ने सीधे लाभ पहुंचाकर मोदी को गरीबों के बीच मसीहा जैसी छवि दी।

तकनीक के सहारे योजनाओं को धरातल पर उतारना और पारदर्शिता को बढ़ाना, मोदी सरकार की एक और बड़ी सफलता रही। यही कारण है कि इन योजनाओं ने बीजेपी को ग्रामीण और निम्न आय वर्ग में स्थायी समर्थन दिलाया।

मोदी युग में हिंदुत्व सिर्फ वैचारिक मुद्दा नहीं रहा, बल्कि अब वह बीजेपी की सक्रिय राजनीतिक रणनीति का हिस्सा बन चुका है। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, अयोध्या में राम मंदिर, महाकाल लोक और केदारनाथ जैसे धार्मिक स्थलों का भव्य विकास—इन सबने हिंदू भावनाओं को सीधा छुआ।

अनुच्छेद 370 का हटाया जाना, ट्रिपल तलाक का खात्मा, और राम मंदिर का उद्घाटन—ये सब वे मुद्दे थे जो दशकों से बीजेपी के एजेंडे में थे लेकिन साकार नहीं हो पाए थे। मोदी ने इन्हें पूरा करके खुद को हिंदुत्व की राजनीति का सबसे सशक्त चेहरा बना दिया।

मोदी की सबसे बड़ी राजनीतिक चालों में से एक रही—सोशल इंजीनियरिंग। उन्होंने बीजेपी को ब्राह्मण-बनिया की छवि से निकालकर ओबीसी, दलित और आदिवासियों तक पहुंचाया। प्रधानमंत्री खुद एक पिछड़े वर्ग से आते हैं, और इसका उन्होंने राजनीतिक लाभ भी बखूबी उठाया।

जातिगत जनगणना, पसमांदा मुस्लिमों तक संपर्क, और अलग-अलग समुदायों को सत्ता में भागीदारी—इन सबने बीजेपी का सामाजिक आधार व्यापक कर दिया। इस रणनीति का असर यह हुआ कि बीजेपी आज देश के हर वर्ग और राज्य में मजबूत होती जा रही है।

मोदी सरकार की विदेश नीति में आत्मविश्वास और आक्रामकता साफ दिखती है। डोकलाम, गलवान, बालाकोट—हर चुनौती के बाद सरकार ने “मूक प्रतिक्रिया” के बजाय “सर्जिकल जवाब” दिया। पीएम मोदी ने यह संदेश दिया कि भारत की संप्रभुता पर किसी भी प्रकार का हमला अब बर्दाश्त नहीं होगा। उनकी विदेश यात्राएं, विश्व मंचों पर भाषण और रणनीतिक समझौतों ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी एक ताकतवर नेता के रूप में स्थापित किया।

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